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भाषण : केप टाउनके विदाई समारोह में

और आपके सहयोग के प्रतीक हैं, अतः मैं इन्हें स्वीकार कर लूंगा। ईश्वरसे कामना है कि मैं भारत में भी ऐसे ही काम कर सकूं और आपके प्रेमका अधिकारी बना रहूँ। ईश्वर करे कि यह प्रेम समयके साथ हमारे-आपके बीचकी दूरीके बावजूद बढ़ता ही जाये।

आगे बोलते हुए श्री गांधीने कहा कि आपने "श्रेष्ठ वाइसराय और हमारे हित- चिन्तक मित्र " लॉर्ड हार्डिजकी शोकजनक क्षतिका उल्लेख करके ठीक ही किया है। में उनतक आपकी हार्दिक शोक-भावना, जिसमें में भी शामिल हूँ, पहुँचानेका प्रयास करूंगा।

उन्होंने कहा, आपसे अलग होनेमें मुझे बहुत मुश्किलका अनुभव हो रहा है; लेकिन शारीरिक रूपसे दूर होकर भी भावनाकी दृष्टिसे में सदैव आपके साथ जुड़ा रहूँगा। आजसे २१ वर्ष पूर्व जब में नेटालके तटपर उतरा था, उस समय में एक अजनबीके रूप में आपके बीचमें आया था। मैं यहाँ अपने किसी देशवासीको नहीं जानता था; और न वे मुझे जानते थे। मैं एक भी यूरोपीयसे परिचित नहीं था । मुझे यहाँके भूगोलको बहुत मोटी जानकारी थी। अब मैं देखता हूँ कि मैं एक ऐसा देश छोड़ रहा हूँ जो अत्यन्त साधन-सम्पन्न है, जहाँ रमणीक प्राकृतिक स्थल हैं, जिसकी जलवायु स्वास्थ्यवर्द्धक है, और इसके बावजूद कि मुझे जहाँ कई आघात भी सहने पड़े हैं, जहाँके लोगोंका वृष्टिकोण निश्चय ही आध्यात्मिक है। जिस देशने ऑलिव शाइनर जैसे लोगोंको जन्म दिया है उससे निराश या भयभीत होनेकी जरूरत नहीं है ( हर्षध्वनि) -- डब्ल्यू० पी० शाइनर और जॉन एक्स० मेरीमैन । ( हर्षध्वनि ) ऐसे श्रेष्ठ स्त्री और पुरुष सदैव जीवित रहेंगे और इन श्रेष्ठ स्त्री-पुरुषोंको जन्म देनेवाली इस भूमिका भविष्य अत्यन्त उज्जवल है।

अपना भाषण जारी रखते हुए श्री गांधीने कहा, दक्षिण आफ्रिकासे दूर जाकर भी मेरे मनमें अपने अनेक यूरोपीय मित्रोंकी सुखद स्मृतियाँ सदैव बनी रहेंगी।

घूमकर अपना हाथ श्री कैलेनबकके कन्धेपर रखते हुए उन्होंने कहा :

देखिए, मैं अपने साथ अपना रक्त-भाई नहीं, बल्कि अपना यूरोपीय भाई ले जा रहा हूँ। क्या यह इस बातका प्रमाण नहीं है कि दक्षिण आफ्रिकासे मुझे बहुत कुछ मिला है, और क्या दक्षिण आफ्रिकाको एक क्षणके लिए भी भूल सकना मेरे लिए सम्भव है!

(हर्षध्वनि) ।

हमारी-आपकी कठिनाइयाँ समाप्त नहीं हुई हैं, लेकिन मुझे आशा है कि यह उदार समझौता जिस भावनासे आपको दिया गया है उसी भावना से आप इसे ग्रहण करेंगे; क्योंकि इसके पीछे आठ वर्षतक बराबर भोगे गये कष्टोंका, संसदके दोनों सदनों में हुई ऐतिहासिक बहसका, और साम्राज्यीय सरकार तथा भारत सरकारका बल और समर्थन है -- ऐसा सुचिन्तित और सदुद्देश्यपूर्ण यह समझौता सुन्दर भविष्यकी सम्भावनाओंसे

१. अभिप्राय लेडी हार्डिजको मृत्युसे है ।

२. २९-७-१९१४ के इंडियन ओपिनियनको रिपोर्टमें, इसके बाद उन्होंने यह भी कहा : " तबसे अबतक मैंने बहुत-से मित्र बनाये हैं, और उनमें से कुछ घनिष्ठतम और निष्ठावान् मित्र यूरोपीय हैं। मैं इस देशको, इसकी प्राकृतिक शोभाको और इसकी सुखद जलवायुको प्यार करने लगा हूँ। "

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