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विदाईका पत्र

सद्भावनाके द्वारा ही उन ध्यान देने योग्य शेष निर्योग्यताओंका, जिन्हें सत्याग्रहकी मांगों में शामिल नहीं किया गया था, स्वाभाविक रूपमें और तीव्र रूपमें, आन्दोलन या संघर्ष किये बिना, समाधान निकल सकता है।

नेटालमें गिरमिटिया तथा भूतपूर्व गिरमिटिया भारतीयोंकी बहुत बड़ी संख्या एक गम्भीर समस्या है। अनिवार्य रूपसे उन्हें वापस भेजना शारीरिक और राजनीतिक दृष्टिसे असम्भव है, और जैसा कि मेरा अनुभव मुझे बतलाता है, वापसी यात्रा मुफ्त करने तथा इसी प्रकारके अन्य प्रलोभन देनेसे भी स्वेच्छापूर्ण वापसी में कुछ विशेष सफलता नहीं मिल सकती। इस महान राज्य द्वारा ग्रहण करने योग्य सच्चा और प्रभावशाली उपाय एक ही है -और वह है, न्याय और औचित्यके साथ जिम्मेदारीका सामना, गिरमिटिया प्रथाके बचे-खुचे रूपकी समाप्ति और आबादीके इस भागको ऊपर उठाकर संघकी सामान्य भलाईके लिए उसका उपयोग । जो स्त्रियां और पुरुष बड़ी संख्या में संगठित रूपसे प्रभावपूर्ण हड़ताल कर सकते हैं, जो एक समान प्रयोजनके लिए अवर्णनीय कष्ट उठा सकते हैं; जो अनुशासनहीन होते हुए भी, पुलिसकी निगरानीके बिना कई दिनों तक शहादतके दुःख भोगते रह सकते हैं और फिर भी किसी व्यक्ति या सम्पत्तिको कोई हानि नहीं पहुँचाते; और जो आवश्यकताके समय अपने राजाकी सेवा निष्ठा और योग्यताके साथ कर सकते हैं, जैसी कि पिछले युद्धमें आहत-सहायक दल बनाकर की थी; (उसमें अन्य वर्गीके सिवा १,५०० गिरमिटिया भारतीय भी थे), वे निश्चय ही ऐसे लोग हैं जिन्हें जीवनमें यदि सर्वसाधारण लोगों- जैसे अवसर दिये जायें, तो वे किसी भी राष्ट्रके सम्मानपूर्ण अंग बन सकते हैं।

यदि आदमियोंका कोई वर्ग अपने सम्बन्ध में विचार किये जानेका विशेष दावा कर सकता है तो वह यही गिरमिटिया भारतीय और उनके बच्चे हैं, जिनके लिए दक्षिण आफिका उनके द्वारा गृहीत देश या जन्मभूमि है। उन्होंने संघर्म साधारण स्वतन्त्र प्रवा- सियोंके रूपमें प्रवेश नहीं किया; वे निमन्त्रित किये जानेपर और दक्षिणी आफ्रिकी मालिकोंके एजेंटोंके बहुत समझाने-बुझानेपर आये। मैंने अपनी शक्तिभर सच्चाई और न्यायके साथ, इस पत्र में भारतीय स्थितिका, तथा पिछले महोनेकी अवधिमें अनेक यूरोपीय मित्रोंने मेरे प्रति जो असाधारण शिष्टता, कृपा और सहानुभूति प्रकट की है, उसका वर्णन करनेकी चेष्टा की है। जनरल स्मट्सने, मुझे दी गई भेंटोंमें, जिस स्पष्टता और उदा- रताके साथ, सम्बन्धित विषयपर विचार किया, और संसदके दोनों सदनोंके अनेक प्रति- ठित सदस्योंने जिस प्रकार समस्या के साम्राज्यीय पहलूको महत्त्व दिया, उससे मुझे यह विश्वास करने के लिए पर्याप्त कारण मिल जाता है कि मेरे जिन देशभाइयोंने दक्षिण आफ्रिकाको अपना घर बना लिया है, उनको प्रायः पूर्ण न्याय प्राप्त होगा और वे संघमें स्वाभिमान और गौरवके साथ रह सकेंगे।

अन्तमें दक्षिण आफ्रिकासे बिदा लेते हुए मैं उन बहुतसे मित्रोंसे क्षमा माँगना चाहूँगा, जिनसे अत्यधिक कार्य-व्यस्तता के कारण मैं व्यक्तिगत रूपसे जाकर नहीं मिल सका। एक बार में फिर कहता हूँ कि यद्यपि इस देशके अपने लम्बे निवासमें मुझपर अनेक कठोर आघात हुए हैं, फिर भी यह मेरा सौभाग्य रहा है कि सैकड़ों यूरोपीय मित्रों, हितैषियों और हमदर्दोंसे मुझे अत्यधिक निजी सद्भाव और सौहार्द्र प्राप्त हुआ