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भाषण : प्रिटोरिया में

आम जनता जानती तक नहीं है। श्री स्टॅटने हमारे उद्देश्यको बराबर वकालत की है और में व्यक्तिगत रूपसे उनके प्रति कृतज्ञ हूँ । श्री चैमनने जो भावनाएँ प्रकट की हैं मेरी भी वही भावनाएं हैं। निश्चय ही मैंने श्री चैमने और उनके कार्यालयके प्रबन्धकोंका विरोध किया; परन्तु इसमें कोई व्यक्तिगत दुर्भाव मेरी ओरसे नहीं रहा और श्री चैमनेने भी हमेशा मेरे साथ शिष्टसे-शिष्ट व्यवहार किया। उस समय जब मैं २,००० आदमी और औरतोंका नेतृत्व कर रहा था, श्री चैमने केवल एक आदमीके साथ मुझे गिरफ्तार करने आये। इससे उनका मेरे प्रति जो आदर प्रकट हुआ, मैं उसकी कद्र करता हूँ। इससे यह जाहिर होता है कि एक सत्याग्रहीके रूपमें श्री चैमने मुझपर कितना विश्वास : करते हैं। मैं चन्देकी थैलीके लिए धन्यवाद देता हूँ। इसकी सारी निधिका उपयोग अन्य थैलियोंसे प्राप्त रकमकी भाँति, मेरे किसी कामके लिए नहीं होगा बल्कि, दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंके हितोंको आगे बढ़ाने के लिए और आवश्यकता हुई तो भारतमें किसी कामके लिए होगा जिसे मैं करना चाहूँ और जो हमें अपने बीच हुई चर्चाओंमें उचित जान पड़ा हो। वे जिन यूरोपीय मित्रोंको छोड़कर जा रहे थे, उनके बारेमें उन्होंने प्रेमभरे शब्द कहे, और कहा कि अपने स्मरणीय कूचके समय मुझे यूरोपीयोंसे बहुत हमदर्दी और प्रोत्साहन मिला; और इसी कारणसे उस कूचने मुझे दक्षिण आफ्रिकाको पहलेसे भी अधिक प्यार करनेके लिए प्रेरित किया। इसी अवधिमें मुझे यह ज्ञात हुआ है कि यद्यपि दक्षिण आफ्रिका एक ऐसा देश है जिसपर अधिकतर भौतिकवाद छाया हुआ है, फिर भी निराशाकी कोई बात नहीं है। मैं महसूस करता हूँ कि जो समझौता हुआ है वह एक तरहका अधिकार-पत्र (मैग्ना कार्टा) है। वह इस खयालसे कोई अन्तिम समझौता नहीं है कि अब कोई बुराइयाँ ही नहीं बची हों। हमें धैर्यंसे काम लेना है और यूरोपीयोंकी राय ऐसी बनानी है कि शेष बुराइयाँ भी दूर की जा सकें। श्री स्टेंट- जैसे लोग हमारे प्रति जैसी सहानुभूति रखते हैं, हमें वह बनाये रखनी है। श्री गांधीने सत्याग्रहकी महान् शक्तिके बारेमें कहा और आशा व्यक्त की कि शायद उसे दुबारा प्रयोग में लानेकी जरूरत न पड़े। उन्होंने कहा कि भारतीय राजनीतिको धर्मसे अलग नहीं कर सकते; उनके लेखे वे दोनों चीजें एक हैं। उन्होंने भारतीय उद्देश्यकी प्राप्तिमें कुमारी इलेसिन द्वारा किये कामकी जोरदार शब्दोंमें सराहना की।

[ अंग्रेजीसे ]

रेंड डेली मेल, १७-७-१९१४



१. इसके बाद गांधीजी हिन्दीमें बोले और समाजके नेताओंके साथ एक बैठकके बाद, जोहानिसबर्गके लिए चल दिये ।