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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

कामका लाभ कोई दूसरा उठा ले जाये तो उन्हें चिन्ता नहीं करनी चाहिए। अगर वे पार्थिव पुरस्कारकी इच्छा नहीं रखेंगे तो उनको और भी अधिक लाभ होगा। सच्चा सत्याग्रही तो भौतिक पुरस्कारका खयाल भी नहीं करता। भौतिक वैभवकी उन्हें चिन्ता नहीं करनी चाहिए बल्कि सदा अपने सामने ऊँचे आदर्श रखने चाहिए। वे इस तरह रहेंगे तभी समाजमें एक ऐसे सुमनका काम कर सकेंगे जिससे सारा समाज सुवासित हो उठेगा और उसे इतना ऊँचा उठा सकेंगे कि लोग उसका अनुकरण करनेकी इच्छा करें। यह विशेषाधिकार निःसन्देह उनका ही प्राप्य है, और इसके लिए उनके पास समय भी है। अगर वे इस समयका अच्छा उपयोग कर सकें तो वह समस्त दक्षिण आफ्रिकाके लिए और खुद उनके लिए भी एक शानदार चीज होगी। श्री गांधीने कहा, भारत पहुँचनेपर जब कभी में यह सुनूंगा कि जिन छोटी-छोटी बातोंकी तरफ मैंने ध्यान दिलाया है उन्हें भारतीय समाजने छोड़ दिया है तो मुझे बड़ी खुशी होगी। एक बात और। मद्रासके बारेमें मुझे कुछ जानकारी है और मैं जानता हूँ कि वहाँ जात-पाँतका भेदभाव कितना तीव्र है। मुझे लगता है कि यहाँ आनेपर भी इन भेद-भावोंको यदि वे कायम रखेंगे तो उनका दक्षिण आफ्रिका आना व्यर्थ ही साबित होगा। जाति-प्रथाकी अपनी उपयोगिताएँ हैं परन्तु उसे यहाँ चिपकाये रखना तो उसका दुरुपयोग ही है। अगर जातीय भेदभावोंको वे बेवकूफीकी हदतक खींचे, एक दूसरेको ऊँच-नीच कहने लगें तो इससे हमारा नाश ही होगा। याद रखना चाहिए कि न तो कोई ऊँचा और न कोई नीचा, बल्कि सब भारतीय हैं, सब तमिल हैं। तमिलका नाम तो केवल उदाहरणके लिए लिया। यों तो यह बात सारे भारतीय समाजपर लागू होती है। लेकिन उनपर सबसे ज्यादा लागू होती है, क्योंकि उन्होंसे सबसे ज्यादा आशा की जाती है।'

[ अंग्रेजीसे ]

इंडियन ओपिनियन, ५-८-१९१४


३७३. भाषण : प्रिटोरियामें

जुलाई १६, १९१४

श्री गांधीने जवाब देते हुए श्री स्टेंटके अध्यक्ष पद स्वीकार करनेपर बड़ी प्रसन्नता प्रकट की और कहा कि श्री स्टेंटने जिस ढंगसे हमारे उद्देश्यकी वकालत की है उससे स्पष्ट है कि इस पदके लिए उनसे अधिक उपयुक्त कोई और व्यक्ति नहीं हो सकता था। जब में पहले प्रिटोरिया आया तो मैंने 'प्रिटोरिया न्यूज 'में अपने उद्देश्यके समर्थनमें टिप्पणियाँ देखीं। मैंने पूछताछ की, तो मुझे बताया गया कि श्री स्टेंट एक नीग्रो-प्रेमी हैं जो प्रायः बहुत बड़ा व्यक्तिगत खतरा मोल लेकर काम करते रहते हैं और

१. गांधीजीके बाद सर्वंत्री कैलेनबैंक, पोलक, पी० के० नायडू और थम्बी नायडूने भी भाषण किया

२. गांधीजी सुबह ८ बजे मोटरसे प्रिटोरिया पहुँचे । भारतीय बस्तीमें उन्हें एक अभिनन्दनपत्र भेंट किया गया। श्री चैमने, स्टॅट, हाजी हबीब और कई अन्य लोगोंने गांधीजीकी प्रशंसामें कुछ शब्द कहे।