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भाषण : तमिल समाजकी सभामें

इतना व्यस्त रहा है कि मुझे भोजन तकके लिए समय नहीं मिल पाता था। पिछले कुछ दिनों तो मैंने एक-एक दिन बीस-बीस सार्वजनिक सभाओंमें भाषण किये हैं।

हिन्दुस्तानी, गुजराती और तमिल भाषामें अनेक वक्ताओंके बोल चुकनेपर, श्री गांधीने उनका उत्तर दिया। उन्होंने कहा कि उनको जो पत्र मिला है वह उनके खयालमें मुसलमान जनताके विचारोंका प्रतिनिधित्व नहीं करता। यदि वे सभा बुलाना चाहते हैं तो उनका कर्त्तव्य है कि वे सभा आयोजित करें और मुझे भी उसमें बुलाएँ । १,२०० पौंडको राशिके बारेमें श्री गांधीने कहा कि 'इंडियन ओपिनियन' तो सभी भारतीयों की सार्वजनिक सम्पत्ति है. वह केवल नामके लिए उनके नाममें पंजीयन कराया गया है। वह राशि जनताकी ओरसे खर्च की गई है और उन्होंने उसका हिसाब रखा है और उसे प्रकाशित किया है। उन्होंने कहा कि फिर भी यदि वे लोग चाहें तो श्री पोलकके पास जाकर उसके खर्चका ब्यौरा मालूम कर सकते हैं। उन्होंने भारतीय उद्देश्यके लिए श्री पोलकके कार्य और आत्म-त्यागकी सराहना की। वे (श्री पोलक) ब्रिटिश भारतीय संघके मन्त्री होंगे। श्री पोलक सत्याग्रह-कोषसे अपने निर्वाहका खर्च अवश्य लेते रहे हैं, लेकिन सत्याग्रह-कोषमें उन्होंने स्वयं तो अपना सर्वस्व दे दिया है।

[ अंग्रेजीसे ]

रेंड डेली मेल, १६-७-१९१४


३७२. भाषण : तमिल समाजकी सभामें

जोहानिसबर्ग

जुलाई १५, १९१४

श्री गांधीने कहा कि अपने तमिल भाइयों और बहनोंसे मिलनेके लिए आनमें मुझे ऐसा लगता है मानो मैं अपने सगे-सम्बन्धियोंसे मिलने आया हूँ। पिछले अनेक वर्षोंसे मुझे ऐसा ही लगता रहा है। और इसका कारण सीधा-सादा है। मेरी समझ में भारतीय समाजके विभिन्न वर्गों से संघर्षका सीधा प्रहार तमिल भाइयोंने ही सहा है। सत्याग्रहको

१. इतना बोल चुकने पर, गांधीजीसे कुछ और भी प्रश्न पूछे गये थे । ट्रान्सवाल लीडरके समाचार अनुसार : “श्री स्टॅटने श्री गांधीसे पूछा कि वे भारतीयोंके प्रतिनिधित्वका दावा कैसे करते हैं जबकि हमीदिया इस्लामिया अंजुमन और हमदाद अंजुमनने ३१ मार्चको एक प्रस्ताव पास करके कहा था कि उनको और उनके मित्रोंको उनकी ओरसे कोई कदम उठानेका हक नहीं है? इन दोनों संस्थाओंने जान-बूझकर उनको अपना प्रतिनिधि माननेसे इनकार किया है। और श्री गांधीने जब सत्याग्रह आन्दोलनके लिए कुछ चन्दा लिया है, तो उनको ही उसका हिसाब पेश करना चाहिए । हबीब मोटनने श्री गांधीसे पूछा कि क्या उन्होंने फीनिक्सके एक समाचारपत्रके लिए १,२०० पौंड नहीं लिये थे ?

२. गांधीजीने तमिल समाजके सदस्योंकी एक सभामें भाषण किया था। सभामें श्रीमती कस्तूरवा, कुमारी इलेसिन, बहुत बड़ी संख्या में महिलाएँ और यूरोपीय उपस्थित थे। सभाकी अध्यक्षता श्री थम्बी नायडू कर रहे थे।