पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/५२३

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४८३
भाषण : मुसलमानको सभामें

श्री गांधीने श्रोताओंको बतलाया कि विवाहकी समस्याके बारेमें उनको समझौतेसे क्या लाभ हुआ है। और अन्तमें कहा: मैं समाजकी सेवा करता रहूँगा। यही मेरा धर्म है।

१. ट्रान्सवाल लीडरके समाचार में इस स्थानपर इस सम्बन्धमें गांधीजीके उत्तरका ब्यौरा दिया गया हैं: “मेरी तो अभीतक किसी ऐसे हिन्दूसे बात नहीं हुई जो विवाहके प्रश्नपर सन्तुष्ट न हो । यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें उनको अपनी माँगसे कुछ अधिक ही मिला है। पोर्ट एलिजाबेथके मुकदमेसे पहले, मेरा खयाल था कि एक ही भारतीय पत्नीको मान्यता दी जायेगी, फिर धर्म चाहे जो हो। लेकिन फिर मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि हमें समस्त दक्षिण आफ्रिकामें एक-पत्नी विवाहको वैध बनानेकी माँग सरकारसे करनी चाहिए । इस देशमें बहु-पत्नी विवाहकी समस्या पिछले पचास वर्षोंसे मौजूद है, लेकिन इस समझौतेके सिलसिले में केवल एक-पत्नी विवाहका प्रश्न ही उठा था। इस सम्बन्धमें हमारी जो माँग थी वह तो मंजूर हुई ही है, उससे कुछ अधिक भी मिला है और वह यह है कि मजिस्ट्रेटोंको विवाह कानूनी करार देनेकी अनुमति दे दी गई है । बहुपत्नी विवाह किये तो जा सकते हैं पर वे कानूनी नहीं होंगे । वतनी लोग एक ही पत्नी रख सकते हैं । सर विलियम सॉलोमन तो भारतीयोंके लिए भी व्यवस्था करना चाहते थे, लेकिन इसपर मैंने कहा : "नहीं, यदि आप वैसा करेंगे तो हम यही संघर्ष करेंगे । ” मैंने कहा कि हम केवल इतना चाहते हैं कि दक्षिण आफ्रिकी सरकार बहु-पत्नी विवाहको सहन करे, भले ही उसे कानूनी न बनाये।

२. इसपर एच० ओ० अलीने अनेक प्रश्न उठाये । वे १९०९ में एक प्रतिनिधि मण्डल में गांधीजीके साथ इंग्लैंड गये थे । रैंड डेली मेलने उसका समाचार इस प्रकार दिया था: “उचित यही है कि श्री गांधी एक सार्वजनिक सभा बुलायें और उसके सामने समझौतेकी व्यवस्था करें । उनके केप टाउनके भाषणों में एक बात मिलती है और डर्बनके भाषणोंमें बिलकुल दूसरी ही । मेसोनिक हॉलके भाषण में श्री गांधीने स्वीकार किया था कि उपनिवेशमें जन्में लोगोंकी समस्या हल नहीं हुई है । समस्याएँ तो कई ऐसी हैं जिनका हल नहीं हुआ, लेकिन जव श्री गांधी यहाँ कहते हैं कि "अन्तिम रूपसे सम्मानपूर्ण समझौता " हो गया है तब कोई भी किस मुँहसे, किस अधिकारके बलपर भविष्य में जनरल स्मटससे कह सकेगा कि कुछ निर्योग्यताएँ और कुछ कष्ट ऐसे हैं जिनके भारके नीचे जनता पिसी जा रही है?

गोखले, साम्राज्यीय सरकार और भारतके बीच तारों और बधाइयोंका आदान-प्रदान हो चुका है । फिर अपनी शेष शिकायतें दूर करवानेके लिए किससे कहा जाये ? मैं चाहता हूँ कि श्री गांधी बतलाएँ कि आगे चलकर हमारा जीवन किस प्रकारका रहेगा । हमने श्री गांधीपर पूरा भरोसा किया था । मैं स्वयं भी श्री गांधी के प्रशंसकों से एक हूँ । श्री गांधी स्वयं जानते हैं कि मैं उनके एक बड़े भाईको तरह हूँ, उनसे ईर्ष्या करनेवाला नहीं । श्री गांधी स्वयं भी एक कट्टर देशभक्त हैं और अपने आलोचकोंको उन्होंने यही उत्तर दिया है। परन्तु मैं यह बिल्कुल भी नहीं जानता था कि श्री गोखलेने श्री गांधीको इस आशयका एक तार भेजा था कि समस्त ट्रान्सवालके भारतीयोंके वास्तविक कष्टोंको आयोगके सामने न रखना भूल होगी। मुझे तो अब मालूम हुआ कि श्री गांधीको वैसा एक तार मिला था और उन्होंने भी चारों माँगोंपर समझौता न होनेतक सत्याग्रह जारी रखनेकी शपथके बारेमें बम्बईको एक लम्बा तार भेजनेपर लगभग दो सौ पौंड खर्च किये थे । इस समझौतेके सिलसिले में कोई भी समझदार आदमी संघ सरकार से यह आशा तो नहीं करता कि वह, बहु-पत्नी विवाहोंको कानूनी करार देगी। लेकिन श्री गांधीको यह तो भली-भाँति जानना ही चाहिए कि मुसलमान लोग अपनी कुरान शरीफके एक-एक हर्फसे बँधे हुए हैं, वे उसके खिलाफ नहीं जा सकते, श्री गांधी यह जानते हैं; क्योंकि इसी हॉलसे एक ऐसा सन्देश उनके पास भेजा गया था। उसमें साफ कहा गया था कि विवाहकी समस्याके सिलसिलेमें और चाहे जो करें पर