पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/५२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१८
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सामान्यतः पुराने विधेयकके खण्ड २६ से मिलता-जुलता है और गवर्नर-जनरलको विनियम जारी करनेका अधिकार देता है। दण्डकी व्यवस्था करनेवाला खण्ड २७ दोनों विधेयकोंमें एक-सा ही है। खण्ड २८ भी प्रायः पुराने विधेयकके खण्ड २८ के.उपखण्ड १ के समान ही है। अन्तर केवल इतना है कि जो एशियाई खण्ड ४ की शर्तोसे मुक्त नहीं है, वह चाहे उस खण्डकी सम्पूर्ण परीक्षाओं में पास हो चुका हो, फिर भी उसे १९०८ के अधिनियम ३६ के अन्तर्गत अपना पंजीयन कराना होगा। खण्ड २९ सन् १९१२ वाले विधेयकके खण्ड १ से मिलता है और जो कानून रद किये जानेवाले है उनका उल्लेख करता है। खण्ड ३० प्राय: पुराने विधेयकके खण्ड २ के समान है। खण्ड ३१ विधेयकको, यदि वह अधिनियम बन जाता है तो, आगामी १ जुलाईसे लागू करने की व्यवस्था करता है।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, १२-४-१९१३

१५. जनूबीका मामला

हम इससे पहले भी इस मामलेपर लिख चुके है।[१] इस हफ्ते हमें और भी महत्त्वपूर्ण कागजात मिले हैं, जिन्हें हम अंग्रेजी स्तम्भोंमें प्रकाशित कर रहे हैं।[२] इनमें से एक पत्र प्रान्तीय सर्वोच्च न्यायालयके मास्टरका है, जिसमें वे लिखते हैं कि यद्यपि श्री इस्माइल भायात तथा अन्य सज्जनोंके हलफनामे है, पर उन्हें मैं सबूत नहीं मान सकता। न्यासीको यह साबित करना है कि विवाह वैध है। साबित न कर पानेपर पत्नीके हिस्सेपर [उत्तराधिकार-शुल्क में ] भी छूटकी इजाजत नहीं मिलेगी। मास्टरने न्यासीको एक वकीलका मशविरा लेने की भी सलाह दी है, क्योंकि यह मामला समूचे भारतीय समाजके लिए महत्त्वका है। इसलिए इस मामलेपर एक वकीलकी राय ली गई है। वकील श्री टैयमका खयाल है कि बाई जानूबीका विवाह कानूनन वैध नहीं माना जा सकता। कोई विवाह कानूनन वैध तभी माना जा सकता है जब वह ईसाई तरीकोंसे सम्पन्न हुआ हो या पंजीकृत हुआ हो। उन्होंने आगे यह भी कहा कि जो राय मैंने दी है उससे मुसलमानोंको घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वे अपने विवाह पंजीकृत करा सकते हैं। हमें इस सम्मतिसे आश्चर्य नहीं हुआ है। तथापि उसको पूरी तरह समझ लेना जरूरी है। निश्चिन्त तो वे ही रह सकते हैं जो इस मामलेको नहीं समझते। जो समझते हैं, वे एक क्षण भी निष्क्रिय नहीं बैठेगे। श्री टैथमके अनुसार जिन लोगोंके विवाह विधिवत् सम्पन्न हुए थे और उनसे जिनके बच्चे है उन्हें अब यह मान लेना चाहिए कि उनकी पत्नियाँ अभी तक कानूनन पत्नियाँ नहीं थीं; और उन्होंने उनको सलाह दी है कि वे अब अपनी पत्नियोंको

  1. १.देखिए “वैवाहिक उलझन", पृष्ठ १४-१५ ।
  2. २. इन्हें यहाँ नहीं दिया जा रहा है।