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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लेकिन यदि समाज दृढ़ तथा साहसी बना रहे, सत्य बोले और एकतासे रहे तो पन्द्रह वर्षके भीतर निम्नलिखित उद्देश्य पूरे हो सकेंगे-

१. व्यापार करनेकी पूर्ण स्वतंत्रता,

२. समस्त प्रान्तों में भू-स्वामित्वके पूर्ण अधिकार; और

३. एक-दूसरे प्रान्तमें आने-जाने तथा रहनेकी छूट।

इन परिणामोंकी उपलब्धिके लिए परवाना-कानून, स्वर्ण-कानून, कस्बा आदि नियम, १८८५ का कानून ३ तथा प्रवासी कानून; इतने कानूनोंमें संशोधन होना चाहिए। इसके लिए दक्षिण आफ्रिकाके गोरोंका समर्थन प्राप्त करना होगा। ऐसा करना मुश्किल नहीं है।

गिरमिटियोंके सम्बन्धमें समाजको चिन्ता करनेकी आवश्यकता नहीं। नये कानून- का यह अर्थ नहीं है कि उन्हें सरकार बाहर निकाल देगी।

मैं विनयपूर्वक सब भारतीयोंको सलाह देता हूँ कि वे श्री पोलककी सहायता करें और उनसे मदद लें। श्री पोलकको हमारी समस्याओंकी जितनी जानकारी है उतनी अन्य किसीको नहीं है। उनमें समाजके प्रति सच्चा प्रेम-भाव है। उनमें उत्साह है और वे कार्य-कुशल भी हैं। मैं सभी प्रान्तोंके भारतीयोंसे आग्रहपूर्व कहता हूँ कि वे श्री पोलक [ की सेवाओं ] का लाभ उठायें और उनके कहनेके अनुसार चलें। उन्हें प्रार्थनापत्र तैयार करनेकी जो विधि आती है वह अन्य किसीको नहीं आती। वे सार्व- जनिक कार्योंके लिए पैसा नहीं लेते। इसलिए यदि वकालतसे उन्हें जीवन निर्वाहके लिए पैसा मिलता रहा तो वे दक्षिण आफ्रिकामें रहेंगे; नहीं तो इंग्लैंड चले जायेंगे । अब भी उन्हें खर्च चलाने लायक पैसा नहीं मिलता, यह मैं जानता हूँ । इसी कारण मैं ट्रान्सवालके भारतीयोंसे विशेष रूपसे कहता हूँ कि वे अपने मुकदमे आदि श्री पोलकको सौंपे।

'इंडियन ओपिनियन' समाजकी सेवा करनेके लिए ही प्रकाशित किया जाता है। फोनिक्सकी संस्था भी इसी कारण चलाई जाती है। वहाँ जो लोग रहते हैं वे वहाँ धन कमाने के उद्देश्यसे नहीं रहते। वे केवल उतना ही धन लेते हैं जिससे वे सादा और गरीबीका जीवन व्यतीत कर सकें। यदि समाजने इन परिस्थितियोंमें काम करनेवाले लोगोंकी सेवाओंका फायदा नहीं उठाया तो वह धोखा खायेगा। अब दक्षिण आफ्रिकामे फीनिक्सकी सम्पत्तिके मालिक तथा उसके न्यासी [ व्यवस्थापक ] श्री उमर झवेरी तथा पारसी रुस्तमजी हैं। समाज, फीनिक्सके सम्बन्धमें पूरी जानकारी उनके द्वारा अथवा सीधे ही प्राप्त कर सकता है। मैं सब भारतीयोंसे, फीनिक्सका हेतु क्या है, यह समझनेका अनुरोध करता हूँ। मैं यह लिखे बिना नहीं रह सकता कि जो लोग भारतकी सेवा करना चाहते हैं उनके लिए फीनिक्स महान् क्षेत्र है। मेरा फीनिक्सके साथ घनिष्ठ सम्बन्ध होनेके कारण कुछ लोग मेरा यह सब लिखना अनुचित मानेंगे, लेकिन मैं दृढ़ विश्वासके कारण यह सब लिख रहा हूँ ।

मैं भारत जा रहा हूँ, किन्तु दक्षिण आफ्रिकाको नहीं भूलूंगा। मैं यह चाहता हूँ, जो भाई यहाँसे भारत पहुँचें वे वहाँ मुझसे मिलें। भारतीयोंपर यहाँ जो कष्ट हैं उनके सम्बन्धमें, मैं भारतमें अवश्य काम करूंगा। यदि आप लोग मेरी सेवाओंका लाभ उठाना चाहेंगे तो मैं और भी अधिक काम कर सकूँगा। वहाँ काम करते समय कागज,