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नया और पुराना विधेयक

खण्ड ४ सामान्य १९१२ के विधेयकके खण्ड ४ से मिलता-जुलता है, पर इसमें पुराने विधेयकके खण्ड ७ के प्रान्तीय प्रतिबन्धोंका समावेश भी किया गया है। तथापि इसमें दो ऐसी बातें हैं जो इसे उस विधेयकसे सर्वथा भिन्न बना देती है। पहली बात यह कि इसमें एक धारा है जिसके अनुसार मन्त्री चाहे तो आर्थिक आधारपर प्रवेशार्थीको प्रवेश देनेसे इनकार कर सकता है। दूसरी बात यह कि शैक्षणिक परीक्षाका रूप वही होगा जो वर्तमान प्रान्तीय कानूनोंमें विहित है। उपखण्ड २ और ३ नये है।

खण्ड ५ दोनों विधेयकोंमें एक-से हैं। अन्तर इतना ही है कि उपखण्ड (च) केवल प्रान्तोंके ही अधिवासियोंको छूट देता है। दूसरे प्रकारके निवासियोंको संरक्षण नहीं दिया गया है। गैर-ईसाई भारतीय विवाहोंकी मान्यताके लिए या इस प्रकारके,विवाहोंसे उत्पन्न बच्चोंके संरक्षणके लिए इसमें कोई व्यवस्था नहीं की गई है। आज दक्षिण आफ्रिकामें उत्पन्न भारतीयोंको अधिकार है कि वे बिना किसी रोक-टोकके केप प्रान्तमें जा सकते हैं, किन्तु उनका यह अधिकार इस खण्डकी प्रथम अवधान-धारा द्वारा छीन लिया गया है। जब कि दूसरी अवधान धारा द्वारा अधिकारियोंको यह अधिकार दिया गया है कि जो भारतीय तीन वर्षसे अधिक समय तक देशसे अनुपस्थित रहा हो उसे वे पुनः दक्षिण आफ्रिकामें आनेसे रोक सकते हैं। यह उपबन्ध नया है। दोनों विधेयकोंके वे खण्डोंका आशय, भाषामें बहुत अन्तर होते हुए भी, एक-सा ही है। खण्ड ७, मोटे तौरपर १९१२ के विधेयकके खण्ड २८ के उप-खण्ड २से मूलतः मिलता-जुलता है। दोनोंके खण्ड ८, ९ और १० भी प्राय: एक-से है। नये विधेयकका अध्याय ३ सन् १९१२ के कानूनके अध्याय २ से बहुत-कुछ मिलता-जुलता है। इसमें उन विशेष अधिकारोंका वर्णन है जिनके द्वारा निषिद्ध प्रवासियोंको बन्दरगाहोंसे देशमें प्रविष्ट होनेसे रोका जा सकता है और उनके विरुद्ध कार्रवाई की जा सकती है। खण्ड १९ में पुराने विधेयकके खण्ड १८ और १९ दोनोंका समावेश किया गया प्रतीत होता है। किन्तु नये विधेयकमें यह विधान है कि प्रवासी-अधिकारी संघकी सीमामें पाये जानेवाले किसी भी व्यक्तिकी जांच-पड़ताल कर सकता है। यदि ऐसा व्यक्ति प्रवासी अधिकारीको इस मामले में सन्तुष्ट नहीं कर देता कि वह "निषिद्ध प्रवासी नहीं है," तो उसके साथ निषिद्ध प्रवासी-जैसा व्यवहार किया जायेगा। उस व्यक्तिको किसी अपील बोर्ड के सामने अपील करने का अधिकार जरूर रहेगा। उपखण्ड २में एक नई प्रणाली दी गई है, जो पुराने विधेयकमें नहीं थी। दोनों विधेयकोंमें खण्ड २० एक-जैसे हैं। यद्यपि नये विधेयकके खण्ड २१ और २२ में प्रायः वे ही उपबन्ध है जो कि १९१२ वाले विधेयकके २१वें और २२ वें खण्डोंमें हैं, किन्तु वे दक्षिण आफ्रिकामें जन्मे व्यक्तियोंपर लागू नहीं होते। नये विधेयकके खण्ड २३ के उपखण्ड १ और २ पुराने विधेयक-जैसे ही हैं। उपखण्ड ३ नया है। खण्ड २४ भी वैसा ही है। खण्ड २५ के उपखण्ड १ का प्रथम भाग, जिसमें मन्त्रीको अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी व्यक्तिको खण्ड ४ के उपबन्धोंसे छूट दे सकता है, नया है। उपखण्ड २में "शिनाख्तका प्रमाणपत्र" शब्द है, “ अनुमतिपत्र" (परमिट) नहीं, जैसा कि १९१२के विधेयकके इसी उपखण्डमें था; और उसकी वैधताकी अवधि सीमित नहीं है। किन्तु इस सुविधाको खण्ड ५ के दूसरे उपबन्ध द्वारा व्यर्थ कर दिया गया है। खण्ड २६"

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