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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

किया गया तो वे हमेशाके अनुरूप योग्य व्यवहार करेंगे और मौजूदा सरकारकी मदद करेंगे। अनेकों अवसरोंपर यदि हमने अपने अधिकारोंपर जोर भी दिया है तो मैं आशा करता हूँ कि उपस्थित यूरोपीय मित्रोंको यह भी स्मरण होगा कि हमने अपने उन उत्तरदायित्वोंको भी निभाया है जो हमारे सामने आये।

और अब समय हो गया है जब मुझे अपना भाषण समाप्त करना है और विदाईके सम्बन्धमें ही कुछ शब्द कहने हैं। मैं नहीं जानता कि मैं उन शब्दोंको कैसे कहूँ। मेरे जीवनके उत्तम वर्ष दक्षिण आफ्रिकामें बीते हैं। जैसा कि मेरे ख्यातिप्राप्त देश- भाई श्री गोखलेने मुझे स्मरण दिलाया था, भारत मेरे लिए एक अनजान देश हो गया है। मैं दक्षिण आफ्रिकाको जानता हूँ, किन्तु भारतको नहीं। मैं नहीं जानता कि मुझे क्या चीज भारत जानेको विवश कर रही है। परन्तु मैं यह भली-भाँति जानता हूँ कि आप सबसे जुदा होना, उन यूरोपीय मित्रोंसे अलग होना, जिन्होंने मुझे अच्छे-बुरे समयमें मदद दी --एक भारी प्रहार है; यह एक ऐसा प्रहार है जिसे सहन करनेमें में बिलकुल असमर्थ हूँ, फिर भी मैं जानता हूँ कि मुझे आप सबसे जुदा होना है। मैं केवल अलविदा कह सकता हूँ और आप लोगोंसे आशीर्वाद देनेके लिए कह सकता हूँ। मैं आप लोगोंसे अपने लिए यह प्रार्थना करनेको कहूँगा कि हमें जो प्रशंसा मिली है उससे हमारी बुद्धि भ्रमित न हो; हमें अपनी योग्यताके अनुसार अपना कर्तव्य निभानेका ज्ञान बना रहे और हम अभी भी यही याद रखें कि हम जो भी करें उसमें हमारा पहला, दूसरा और अन्तिम लक्ष्य अपने अन्तःकरणको स्वीकृति पाना ही होना चाहिए और तब जो भी हमारा प्राप्य होगा वह हमें अपने समयपर मिल जायेगा ।

[ अंग्रेजीसे ]

इंडियन ओपिनियन, स्वर्ण अंक, १९१४ ।

३६७. भेंट : 'ट्रान्सवाल लीडर' के प्रतिनिधिको

[ जोहानिसबर्ग

जुलाई १४, १९१४]

मैं हमेशा के लिए भारत जा रहा हूँ। और इस इरादेसे जा रहा हूँ कि कभी लौटकर नहीं आऊँगा, और यदि कभी मुझे दक्षिण आफ्रिका आना पड़े या भारत छोड़ना पड़े तो यह ऐसी ही परिस्थितियों में होगा जिनपर मेरा वश न हो। फिलहाल मुझे उन परिस्थितियोंका कोई अन्दाज नहीं है।

मैं समझता हूँ कि समझौता दोनों पक्षोंके लिए नितान्त सम्मानजनक है। मेरा खयाल है कि जनरल बोथा और जनरल स्मट्स- दोनोंने अधिकसे-अधिक न्याय

१. इसके बाद सभाको कैलेन बैंकने धन्यवाद दिया। कुमारी इलेसिनको एक अभिनन्दन पत्र समर्पित किया गया । डॉ० क्राउज़के भाषण कार्यक्रम समाप्त हुआ।