पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/४९५

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४५७
भाषण : वेरुलम में

गया है कि "हे जीव यदि तू इस आज्ञाके अनुसार न चल सके तो यह सारी प्रशंसा तू कृष्णार्पण कर दे। और वैसा मैं कर रहा हूँ। धर्मकी ऐसी आज्ञाओं और नीतिके पालनसे निश्चय ही किसी भी कार्य में जीत मिलती है। मेरा मतलब यह है कि आप यह जो कहते हैं कि मेरे कारण ही हम सबको जीत मिली है सो सही नहीं है । जीतका कारण तो मेरे इन गिरमिटिया भाइयोंका बल है। भारी काम उन्होंने ही किया है। मैं और मेरे स्वजन और स्नेही सब आज तक जेलमें रहे होते तो भी समझौता इतनी जल्दी न हुआ होता।

[इसके बाद गांधीजीने समझाया कि अब कर या पहलेकी बाकी रकम उनसे वसूल नहीं की जायेगी और कहा:] करके समाप्त हो जानेसे भारतीयोंको लगातार या तो गिरमिटमें रहना पड़ेगा या उन्हें स्वदेश लौट जाना होगा - यह बात बिलकुल गलत है। गिरमिटकी अवधि पूरी करनेके बाद आप लोग स्वतन्त्र व्यक्तियोंकी तरह रह सकते हैं। मेरी तो आप लोगोंको यही सलाह है कि आप अब गिरमिटके बन्धनमें दुबारा कदापि न बँधे । बेशक, अपनी मौजूदा गिरमिटकी अवधि तो आपको पूरी करनी ही पड़ेगी; उसमें से कोई छूट नहीं सकता। गिरमिटसे मुक्त होकर जो लोग स्वतन्त्र होते हैं उन्हें डर्बनके प्रोटेक्टरसे पास मिल सकेगा। जो स्वतन्त्र भारतीय तीन वर्ष तक यहाँ रहेगा उसे यहाँका अधिवासी माना जायेगा । तीन वर्ष रहने के बाद यदि उसे भारत जाकर यहाँ वापस आना हो तो वह वापस आ सकेगा। ऐसे मनुष्यको अपने खर्चसे वापस जाना चाहिए। सरकारसे यह खर्च नहीं मांगा जा सकता। किन्तु जिस मनुष्यको यहाँ बिलकुल आना ही न हो वह अपनी भारत यात्राका खर्च सरकारसे मांग सकेगा और वह खर्च उसे मिल जायेगा।

तीन-पौंडी करके समाप्त होने में श्री मार्शल कैम्बैलका बड़ा हाथ था; विक्टोरिया काउंटी में आनेके इस अवसरपर मैं उनका आभार मानता हूँ । उस करको समाप्त करानेमें उन्होंने सीनेटम अथक परिश्रम किया और उसमें उन्होंने अपने स्वार्थका कोई विचार नहीं किया।

मेरे जानेपर आप लोग खेद प्रकट करते हैं, इस बातसे आपके प्रेमके बन्धनमें मैं और ज्यादा बँधता हूँ। किन्तु, मैं अपने पीछे यहाँ फीनिक्स संस्था छोड़कर जा रहा हूँ। किसी कानूनके फलस्वरूप या दूसरे किसी कारणसे होनेवाली तकलीफमें आप फीनिक्स जाइए; वहाँ श्री वेस्ट और जो दूसरे लोग रहते हैं, उनसे पूछिए । वे आपको आश्वासन तथा सलाह देंगे और आपका काम करेंगे। वे आप लोगोंसे पैसा भी नहीं लेंगे और यदि काम ऐसा हो जो उनसे न बने तो सलाहके लिए आपको सही आदमीके पास भेजेंगे। जिस समय फीनिक्समें वे लोग आपसे पैसा माँगने लगें उस समय आप उसकी ओर नजर भी न करना। मैं तो आपके लिए काम करता ही रहूँगा। आपका गिरमिटका करार तो एक आदमीके साथ केवल पाँच वर्षके लिए है, किन्तु मेरा गिरमिट तीस करोड़ लोगोंके साथ है और जीवन-भरके लिए है। अपनी यह सेवा मैं सदा करता रहूँगा। और आपको अपने हृदयसे कभी