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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मैं अपने देशवासियोंको उस अवसरकी याद दिलाना चाहता हूँ और चाहता हूँ कि वे समझें कि समझौतेसे उनके ऊपर कुछ उत्तरदायित्व भी आये हैं।

[ अंग्रेजीसे [

इंडियन ओपिनियन, २२-७-१९१४ और २३-९-१९१४

३६१. भाषण : वेरुलममें

जुलाई १२, १९१४

भाइयो और बहनो, मैंने जब वेरुलम आना स्वीकार किया तब मेरे मनमें यह ख्याल बिलकुल भी नहीं था कि यहाँ मुझे मानपत्र स्वीकार करना होगा। मैं तो केवल अपने गिरमि- टिया भाइयोंका दर्शन करने और उन्हें नये कानूनका अर्थ समझानेके लिए आया था । इसके सिवा यहाँ आना मुझे किसी तीर्थ स्थानकी यात्रा करने जैसा मालूम हुआ है। कारण, पिछली हड़तालमें यहाँके भारतीयोंने बहुत बड़ा हिस्सा अदा किया है और सो भी कितने आश्चर्यजनक रूपमें। जिस समय सारे तथाकथित नेता अपने-अपने घरमें आराम कर रहे थे या पैसा कमाने में लगे हुए थे, उस समय ज्यों ही यहाँके गिरमिटिया भाइयोंको यह समाचार मिला कि चार्ल्सटाउनमें और दूसरी जगहों में भी तीन-पौंडी करके बारेमें हड़ताल हुई है त्यों ही उन्होंने भी काम करना बन्द कर दिया। उन्हें किसी नेताकी जरूरत नहीं पड़ी। वेरुलम, टोंगाट और इसीपिंगोमें नेता लोग तो पैसा इकट्ठा करते हुए घूम रहे थे। किन्तु यहाँ किसीको समझानेकी कोई जरूरत ही नहीं हुई और सब भाइयोंने हड़ताल कर दी। इससे सिद्ध हो जाता है कि गरीबी ही सच्चा धन है। गरीब लोग राजा हैं। गरीब जो चाहें कर सकते हैं। हमारा उद्धार यहाँ, भारतमें, या अन्य किसी भी जगह गरीबीके द्वारा ही सम्भव है। ऐसे महान् आन्दोलनकी आत्मा गरीब ही हैं।

आप सब लोगोंने यहाँ जो मेरा सम्मान किया है, उसे स्वीकार करते हुए मुझे धर्म [ शास्त्र ] की आज्ञा याद आ रही है : “रे मनुष्य, जहाँ तेरी प्रशंसा हो रही हो वहाँ से तू भाग जा और यदि भाग न सके तो रुई लगाकर अपने कान बन्द कर ले ।” जब-जब कहीं कोई मेरी प्रशंसा करने लगता है तब-तब मैं अपने हृदयमें इस शास्त्र- वचनको दोहराता । किन्तु इस आज्ञाके अनुसार मैं अभी यहाँ तो चल नहीं सका। उपर्युक्त आज्ञामें जो दो उपाय बताये गये हैं वे यदि सम्भव न हों तो उसीमें यह कहा

१. १७-७-१९१४ के ट्रान्सवाल लीडर और स्टारमें प्रकाशित संक्षिप्त रिपोटोंमें कहा गया था : “श्री गांधीने इस आशयकी एक महत्वपूर्ण बात कही कि राहत विधेयकसे भारतीयोंकी निर्योग्यताएँ आंशिक रूपसे दूर हुई हैं, और बरावरीके दर्जेका सवाल आगे चल कर उठना अवश्यम्भावी है। उन्होंने कहा कि मैं कुछ वर्षोंके लिए दक्षिण आफ्रिका छोड़ कर जा रहा हूँ लेकिन फिर लौट सकता हूँ ।”