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विधेयकका परिणाम

अपने पतिकी विधवाके रूपमें नहीं, बल्कि उसकी रखैलके रूपमें ही मानना होगा; और इसीलिए जनूबी उत्तराधिकार-शुल्ककी माफी पानेकी हकदार नहीं होगी। सारी सदिच्छाओंके बावजूद सरकार कोई राहत देने में असमर्थ है, क्योंकि जिस प्रकार वह प्रवासी -अधिकारीको आदेश दे सकती है उस प्रकार मास्टरको आदेश नहीं दे सकती। इसलिए यह नितान्त आवश्यक है कि जोहानिसबर्गको विशाल सभाके अनुरोधके अनुसार कानूनमें संशोधन किया जाये। सरकारके लिए आवश्यक राहत देनेका यह एक सुनहला अवसर है। सरकारने जो प्रवासी विधेयक अभी प्रकाशित किया है, उसमें मामूली-सा संशोधन करके वह ऐसा कर सकती है और यही उसकी सदिच्छाका सर्वोत्तम प्रमाण होगा।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, १२-४-१९१३

१३. विधेयकका परिणाम

उक्त [प्रवासी] विधेयक अस्थायी समझौतेको कार्यान्वित नहीं करता, क्योंकि वह मौजूदा अधिकारोंको भी छीन लेता है; यह बात समझौतेके विरुद्ध है; कुछ उदाहरण दिये जाते है:

(१) खण्ड ३ न्यायालयके उस अधिकारको छीन लेता है, जिसका मौजूदा कानूनोंके सम्बन्धमें अबतक उपयोग किया जाता था। ये कानून ही अब रद किये जा रहे है।

(२) जान पड़ता है, खण्ड ४ के उपखण्ड १ की धारा (क) वे सब अधिकार छीन लेती है जो शिक्षा सम्बन्धी कसौटीमें पास होनेपर केप या नेटालमें प्रवेश करनेवाले शिक्षित भारतीयोंको प्राप्त हुआ करते थे।

(३) खण्ड ४ का उपखण्ड ३ नेटाल और केपके भारतीयोंको किसी भी बन्दरगाहसे होकर पुनः प्रवेश करनेके प्राप्त अधिकारोंपर प्रतिबन्ध लगाता है।

(४) खण्ड ५ का उपखण्ड (च) नेटालके उन भारतीयोंको अधिवासके अधिकारोंसे वंचित करता है जो ठीक अर्थमें अधिवासी तो नहीं है, परन्तु वहाँ अपने दीर्घकालीन निवासके कारण अबतक अधिवासके अधिकारोंका उपभोग करते रहे हैं। उक्त उपखण्डके फलस्वरूप नेटालमें निवास करनेवाले हजारों भारतीय "निषिद्ध प्रवासी" हो जायेंगे।

(५) अवधान-धारा (प्रॉविज़ो) खण्ड ५, ट्रान्सवालके पंजीयन प्रमाणपत्रोंके कानूनी प्रभावको काफी हद तक निरर्थक कर देती है। अधिकांश मामलोंमें तिहरे पंजीयनके बावजूद, उक्त विधेयकके अन्तर्गत ये प्रमाणपत्र, लॉर्ड मिलनरके शब्दोंमें, “ट्रान्सवालमें अधिवासका पक्का अधिकार देने की क्षमता खो देते हैं", क्योंकि इस विधेयकके अनुसार यदि कोई तीन साल तक ट्रान्सवालसे अनुपस्थित रहता है तो इन प्रमाणपत्रों द्वारा उसे अधिवासका जो अधिकार प्राप्त हुआ था वह रद हो जाता है।

(६) यदि कोई अधिवासी तीन वर्ष तक अनुपस्थित रहे तो यही अवधानधारा नेटालके निवास सम्बन्धी उसके प्रमाणपत्रोंको भी अवैध करार देती है।