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३५१. अन्त

आठ सालसे चलनेवाली लड़ाई अन्ततः अन्तिम रूपसे समाप्त हो गई। भारतीय राहत विधेयक (इंडियन्स रिलीफ बिल) तथा सरकार और श्री गांधी के बीच हुए पत्र-व्यवहारसे उन समस्याओंका एक पूर्ण तथा दोनों पक्षोंके लिए सन्तोषजनक और सम्मानपूर्ण समाधान हो गया है, जो सत्याग्रह आन्दोलनसे प्रभावित थीं। इस सुखद अन्तके लिए हमें साम्राज्यीय सरकार, भारत सरकार, संघ सरकार, तथा श्री गोखले, द्वारा पथप्रदर्शित एवं आन्दोलित अपनी मातृभूमि, और श्री ऐन्ड्रयूजके मिशनको धन्यवाद देना चाहिए। हजारों सत्याग्रहियोंके कष्ट-सहन तथा वलिअम्मा, नारायणसामी, नागप्पन तथा हरबतसिंह के बलिदानसे उक्त शक्तियाँ प्रादुर्भूत हुईं। इस प्रकार, एक कानून सम्मत अस्त्र के रूपमें, सत्याग्रह पुनः विजयी हुआ। समझौतेके बारेमें लॉर्ड ग्लैड्स्टनने जो लम्बा हवाला दिया है उससे उसके महत्वका बोध होता है। साम्राज्यीय पहलूको स्पष्ट रूपमें दक्षिण आफ्रिकाकी जनताके सामने उपस्थित करने के लिए हम गवर्नर जनरल महोदयके कृतज्ञ हैं।

एक जटिल समस्याके सुखद समाधानके बाद, भारतीय समाजको प्रभावित करनेवाले कानूनोंको सहानुभूतिपूर्ण व न्यायपूर्ण ढंगसे अमलमे लाना अब संघ सरकार के हाथमें है। इसी प्रकार यह दिखा देना कि वह न्यायोचित व्यवहारके सर्वथा योग्य है, भारतीय समाजका काम है। अगर समाजको शान्तिपूर्वक विश्राम लेने दिया गया तो श्री गांधीने अपने पत्रमें जिन विषयोंका उल्लेख किया है उनको सुलझानेका भी कोई सरल उपाय निकल आयगा । अधिवासियोंको नागरिकताके सामान्य अधिकार प्राप्त हो सकें इस दृष्टिसे कभी-न-कभी उन विषयोंपर भी ध्यान देना ही पड़ेगा। अधिवासियोंको यह न भूलना चाहिए कि यद्यपि सबसे बड़ी शिकायतोंके दूर हो जानेपर हमारे लिए यह कृतज्ञ होनेका अवसर है, पर अब भी ऐसी कानूनी निर्योग्यताएँ हमपर रहेंगी जो प्रबल वर्ण-विद्वेषके कारण पैदा हुई हैं। मुख्यतः जातिगत आधारपर व्यापारिक परवानोंका नियमन, ट्रान्सवालमें जमीनपर स्वामित्वके अधिकारका अपहरण, ट्रान्सवाल स्वर्ण-कानूनके अन्तर्गत भारतीयोंकी नाजुक स्थिति, अन्तर्प्रान्तीय प्रतिबन्ध - ये तथा हमारी स्वतन्त्रतापर इसी प्रकारके अन्य प्रतिबन्ध प्रदर्शित करते हैं कि लॉर्ड ग्लैड्स्टनके ये शब्द कितने सच थे कि भारतीय राहत विधेयकने भारतीयोंके साथ कमसे-कम न्याय किया है। इसे तो सिर्फ पहली किस्त अथवा भविष्य में प्राप्त होनेवाले न्यायके बयानेके रूपमें ग्रहण करना चाहिए। इसलिए यदि सत्याग्रहकी लड़ाईने सरकारकी दमनपूर्ण नीतिको बदलकर ऐसी प्रगतिशील नीतिके रूप में परिवर्तित कर दिया हो जिससे हम भविष्यमें बराबर सुधारकी आशा

१. देखिए पृष्ठ ४०८-११, ४१७-१८, ४२५-२६, ४२९-३०, ४३३-३४।