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सम्पूर्ण गांधी वाड्मय

उनकी बारी आई तब वे प्रसन्नतापूर्वक जेल भी गये। इससे भी वे ऐसा मानते हैं कि उन्हें हानि नहीं, लाभ ही हुआ है। श्री गांधीने उस समयका भी जिक्र किया जब वे १८९७ में दक्षिण आफ्रिका आये थे और उनके मित्र श्री लॉटनने उनका साथ दिया था और भीड़का मुकाबला किया था।' श्री गांधीने डर्बनके दिवंगत सुपरिटेंडेंटकी पत्नी श्रीमती अलेक्जेंडरका भी कृतज्ञतापूर्वक उल्लेख किया, जिन्होंने भीड़ द्वारा फेंके जानेवाले पत्थरों आदिसे अपने छाते द्वारा उनकी रक्षा की थी। सत्याग्रह के बारे में बोलते हुए उन्होंने उसे शुद्धतम प्रकारका हथियार बताया और कहा, वह कमजोरोंका हथियार नहीं है। मेरी रायमें शरीरबलसे प्रतिकार करनेवाले व्यक्तिकी अपेक्षा इसमें कहीं अधिक हिम्मतकी जरूरत होती है। शान्तिके साथ कष्ट सहन करते हुए मृत्युका स्वागत ईसा, डॅनियल, कैनमर, लैटिमर और रिडले-जैसे पुरुष ही कर सकते हैं। और रूसके जारोंकी अवज्ञा करनेका साहस टॉल्स्टॉय-जैसे लोगोंमें ही पाया जाता है। ऐसे ही व्यक्ति श्रेष्ठ पुरुष गिने जाते हैं। मुझे पता है कि मेयर महोदयको इस आशयके कुछ तार मिले हैं कि भारतीय राहत विधेयक सन्तोषजनक नहीं है। इस संसार में ऐसी वस्तुका मिलना असम्भव है कि जिससे सबको सन्तोष हो । परन्तु मेरा निश्चित मत है कि दक्षिण आफ्रिका आजकी स्थितिमें इससे अधिक अच्छा कानून हमें नहीं मिल सकता था।

इसका श्रेय मुझे नहीं है। वह तो नागप्पन, नारायणसामी और वलिअम्मा जैसे नौजवानों और लड़कियोंको है जिन्होंने सत्यके अनुष्ठानमें अपनी जान देकर दक्षिण आफ्रिकाके सदसद् विवेकको जगाया। उसके लिए हमें संघराज्यकी सरकारको भी धन्यवाद देना चाहिए। जनरल बोथाने यह घोषणा करके कि उनकी सरकारका अस्तित्व इस विधेयकके साथ जुड़ा हुआ है, बहुत श्रेष्ठ राजनयिकताका परिचय दिया। उस ऐतिहासिक बहसको मैंने बहुत ध्यानसे पढ़ा है । वह बहस मेरे लिए तो ऐतिहासिक है ही, परन्तु मेरे देशभाइयोंके लिए, और शायद दक्षिण आफ्रिका तथा संसारके लिए भी ऐतिहासिक है।

श्री गांधीने आगे कहा कि सरकारने किस प्रकार न्यायका पालन किया और विरोधी दल भी किस तरह सरकारकी मदद करने लग गया, यह सब मुझे खूब अच्छी तरहसे ज्ञात है। इसी प्रकार साम्राज्यीय सरकार तथा भारत सरकारकी तरफसे भी, हमें अच्छी सहायता मिली है और उसके पीछे उस उदारचेता वाइसराय, लॉर्ड हाडिजका हाथ रहा है। (हर्षध्वनि) । दक्षिण आफ्रिकामें बसे अपने हजारों देशभाइयोंके हृदयकी पुकारपर भारतने अपने महान और सुप्रसिद्ध पुत्र श्री गोखलेके नेतृत्वमें जो अच्छा जवाब दिया वह भी सत्याग्रह आन्दोलनका ही एक परिणाम था । और मुझे आशा है कि इस लड़ाईने कटुताका कोई चिह्न तक नहीं छोड़ा है । (हर्ष-ध्वनि)।

१. देखिए खण्ड २, पृष्ठ १७९ ।

२. नेटाल मर्क्युरीकी रिपोर्ट में यहाँ लिखा है : "श्री गांधीने सत्याग्रहका समर्थन किया और कहा कि यह शुद्धतम अस्त्र था जिसका प्रयोग वे कर सकते थे ” ।