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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

है कि 'प्राप्त अधिकारों' का मैं जो अर्थ लगाता हूँ उसे एक लिखित रूप दे ही डालना चाहिए। जनरल स्मट्स ने यह कहनेकी कृपा तो की ही थी कि प्राप्त अधिकारोंकी मैंने जो परिभाषा की है उसी रूपमें वे उनको संरक्षण देनेकी कोशिश करेंगे। मैंने सर बेंजामिन रॉबर्ट्सनके सामने निम्नलिखित परिभाषा पेश की थी, जो मेरा खयाल है उन्होंने जनरल स्मट्सके सामने रखी थी। मैंने ४ मार्च, १९१४ के अपने पत्रमें अन्य विषयोंके साथ यह परिभाषा भी रखी थी कि "मेरी समझमें प्राप्त अधिकारोंका मतलब है भारतीय और उसके उत्तराधिकारियोंका उस बस्ती में रहने और व्यापार करनेका अधिकार जिसमें वह निवास और व्यापार कर रहा था, फिर चाहे उसने अपनी उसी बस्तीमें अपने निवास या अपने व्यवसायका स्थान कितनी ही बार क्यों न बदला हो।" श्री हरकोर्टने कॉमन्स सभा २७ जून, १९११ को इस विषयके सम्बन्ध में जो उत्तर दिया था, उससे मेरी इस व्याख्याकी पुष्टि होती है:

उस विधान (स्वर्ण-कानून और बस्ती-संशोधन अधिनियम) के विरुद्ध शिकायतें की गई हैं और अब दक्षिण आफ्रिकी संघ सरकार उनकी जाँच-पड़ताल कर रही है और उसने हालमें कहा है कि विधान पास होनेकी तिथिसे पहले भारतीयों द्वारा अर्जित किये और चलाये जानेवाले व्यवसायको चलानेके अधिकारमें या व्यवसायमें हस्तक्षेप करनेका उसका कोई मंशा नहीं है।

अब मुझे श्री डी'विलियर्सका वह नोट भी मिल गया है जिसका हवाला मैंने बातचीत के दौरान दिया था। वह लन्दन में मार्च, १९१२ में प्रकाशित हुए एक श्वेत-पत्र में दिया गया था। उसमें कहा गया है:

नया अधिनियम (१९०८ का अधिनियम ३५) रंगदार लोगोंको उनके किसी भी मौजूदा अधिकार या विशेषाधिकारसे वंचित नहीं करता।

और, आगे कहा गया है,

संसदमें विधेयक पेश होनेसे पहले जिस खण्ड १३१ के बारेमें इंग्लैंडकी कामन्स सभामें अनेक प्रश्न पूछे गये थे और गवर्नरके नाम मन्त्रीकी ओरसे अनेक खरीते भेजे गये थे, अब उसे समितिने इस तरह संशोधित कर दिया है कि खान-क्षेत्रमें रंगदार भारतीयोंके भू-स्वामित्वके मौजूदा सभी अधिकार सुरक्षित रहें।

जहाँतक मेरी जानकारी है स्वर्ण-कानून पास होनेसे पहले स्वर्ण क्षेत्रों में ब्रिटिश भारतीयोंकी गतिविधि या व्यापारपर निश्चय ही कोई भी प्रतिबन्ध नहीं लगे थे। इसलिए अब प्रतिबन्ध लगानेका कोई औचित्य नहीं हो सकता, विशेषकर उन लोगोंपर जो अपनी-अपनी बस्तियों में पहले ही बस चुके हैं।

आपका सच्चा

मो० क० गांधी

श्री ई० एम० जॉर्जेस

प्रिटोरिया

टाइप की हुई दफ्तरी अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ६००३) की फोटो-नकल से ।

१. देखिए “ पत्र : सर बेंजामिन रॉबर्ट्रेसनको”, पृष्ठ ३६७-६८।