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३४६. भाषण : डर्बनकी सभामें

[जुलाई ५, १९१४]

श्री गांधी बोलनेके लिए खड़े हुए। उन्होंने बताया: 'मर्क्युरी' आदि पत्रों में तीन पौंडी करका जो अर्थ किया है वह एकदम गलत और भ्रमपूर्ण है। उक्त कानूनका ऐसा अर्थ नहीं निकलता। 'मर्क्युरी' के इस सम्बन्ध में लिख चुकने के बाद जनरल स्मट्स से भी लिखा-पढ़ी हुई है और उनका भी विश्वास है कि कानूनका वह अर्थ नहीं है जैसा 'मर्क्युरी' कर रहा है।

तदनन्तर विवाहके प्रश्न पर बोलते हुए श्री गांधी ने कहा:

कई भारतीयों ने यह माँग की है कि विवाहके कानूनको मॉरिशस के कानूनके अनुरूप बना दिया जाये। पर उस कानूनको वे पढ़ चुके हैं; वह तो और भी खराब है। विवाहके सम्बन्ध में जो निर्णय हुआ है वह तो बहुत अच्छा निर्णय है। उससे बढ़कर कोई अन्य निर्णय नहीं हो सकता।

श्री गांधी ने आगे बतलाया कि जो उपनिवेश में पैदा हुए हैं, पहलेकी तरह ही, उन लोगोंके केप में प्रवेशके सम्बन्ध में तथा ऑरेंज फ्री स्टेट के सम्बन्ध में भी सन्तोष जनक ढंगसे निर्णय हो चुके हैं। और इसके अतिरिक्त कानूनका अमल न्यायपूर्वक हो, अधिक सख्ती के साथ न हो, इस सम्बन्ध में भी सरकारने सहानुभूति का रुख अपनाया है। अन्त में उन्होंने सम्मान देने के लिए इतने अधिक लोगोंके एकत्रित होने पर आभार प्रकट किया।

[गुजराती से]

इंडियन ओपिनियन, ८-७-१९१४

३४७. तार : 'हिन्दू' को

जोहानिसबर्ग

जुलाई ६,१९१४

सत्याग्रह सम्बन्धी समझौता अन्तिम रूपसे सम्पन्न। आठ वर्षीय निरन्तर संघर्ष समाप्त। कानूनी और प्रशासकीय अपेक्षित कार्रवाई द्वारा सत्याग्रह अनुरोध पूरी तरह मंजूर। दोनों सभाओं में मन्त्रियोंके भाषणों और वाद-विवादमें न्यायशीलताकी भावना। हालाँकि यह सम्मानपूर्ण परिणाम मुख्यतः हजारों

१. यह सभा भारतीय राहत विधेयकके पास हो जानेपर जब गांधीजी केप टाउनसे लौंटे तब फुटबाल ग्राउंडपर हुई थी।

२. देखिए पाद-टिप्पणी २, पृष्ठ ४१७ ।

३. इसपर काछलिया, कैलेनबैंक, पोलक और गांधीजीके हस्ताक्षर थे ।