पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/४६८

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४३०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

आना बन्द कर दिया गया है और पिछले सालके प्रवासी विनियम अविनियम (इंमिग्रेंट्स रेगुलेशन एक्ट) ने भविष्यम अमली तौरपर भारतीयोंका मुक्त आव्रजन बन्द कर दिया है, और मेरे देशभाई किसी राजनीतिक आकांक्षाके लिए प्रयत्नशील नहीं हैं तब वे मेरे देशभाइयोंको उपर्युक्त अधिकार देनेकी न्यायशीलता और आवश्यकताको देख पायेंगे।

इस बीच सरकारने पिछले चन्द महीनोंमें जिस उदार भावनासे समस्याके समाधानका प्रयत्न किया है, वही यदि वर्तमान कानूनोंके अमलमे आगे भी लागू की जाती रही, जैसा कि आपने अपने पत्रम वादा भी किया है, तो मुझे निश्चय है कि समस्त संघमें भारतीय समाज शान्तिका कुछ सुख उठा सकेगा और सरकारके लिए कभी सिरदर्दका कारण न बनेगा।

आपका विश्वस्त,

मो० क० गांधी

टाइप की हुई मूल अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ५९९९) की फोटो-नकलसे।

३४४. पत्र : गो० कृ० गोखलेको

किम्बलेकी ट्रेनसे

जुलाई १, १९१४

प्रिय श्री गोखले,

मैंने कल तार भेजा था कि सब कुछ तय हो चुका है। मैं पत्र-व्यवहारकी प्रतियाँ या अन्य कोई भी कागजात भेजकर आपको परेशान नहीं करना चाहता।

मैं १८ तारीखको रवाना होनेकी हर मुमकिन कोशिश कर रहा हूँ। अब तो एक यही इच्छा है कि आपके पास पहुॅचूं और आपके दर्शन करूँ और आपसे आदेश लेकर तत्काल भारतके लिए रवाना हो जाऊँ । यदि मैं १८ को रवाना हो गया तो यह पत्र मेरे रवाना होनेके बाद और यदि २५ को रवाना हुआ तो उससे पहले मिल जायेगा। रवाना होनेकी तिथि मैं अगले हफ्ते तार द्वारा सूचित करूंगा। इसलिए यदि आप मुझे कोई हिदायत करना चाहें तो कृपया केप टाउन या मदीरामें तार भेजें।

आशा है कि आपके स्वास्थ्यमें सुधार होगा।

श्रीमती गांधी और श्री कैलेनबेक मेरे साथ आ रहे हैं।

हृदयसे आपका,

मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी प्रति (जी० एन० ३७७७) की फोटो-नकलसे।

१. गवर्नर जनरल लॉर्ड ग्लैडस्टनने, उपनिवेश मन्त्रालयको भेजे गये ४ और १० जुलाई, १९१४ के अपने दो खरीतोंमें, समझौतेकी सूचना देते हुए विस्तारसे लिखा था कि गांधीजीकी माँग किस प्रकार और किस हद तक पूरी की गई हैं। देखिए परिशिष्ट २७।

२. यह तार उपलब्ध नहीं है।