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३३९. स्वर्गीय सर डेविड हंटर

रविवारको डर्बनमें खबर आई कि नेटालके एक अत्यन्त सच्चे तथा उदार विचारों- वाले जन-नेता, सर डेविड हंटर, के० सी० एम० जी०, का एडिनबराके एक सुश्रूषागृहमें, ऑपरेशनके बाद देहान्त हो गया। सर डेविड सदैव दुर्बल और पीड़ितोंका पक्ष लेनेके लिए प्रसिद्ध थे। संसदमें हो, या संसदके बाहर, सदा न्याय और औचित्यके पक्षमें उनकी आवाज सुनाई पड़ती थी---विशेषतः उन लोगोंकी तरफसे जिनको संसद्म कोई प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं था। भारतीय समाजको इस हानिसे बड़ा संताप होगा । नेटालकी राजकीय रेलवेमें वे छब्बीस साल तक जनरल मैनेजर रहे। अपने इस कार्यकालमें वे एक मेहरबान हाकिमकी तरह जाने जाते थे। वह सदा अपने भारतीय कर्मचारियोंकी प्रशंसा किया करते थे, और वे लोग भी अपने प्रधानके बारेमें उच्च विचार रखते थे। हमें अच्छी तरह याद है कि श्री गोखलेके आगमनके समय डर्बन ड्रिल हॉलके ऐतिहासिक भोजमें सभापतिके रूपमें बोलते हुए सर डेविडने कहा था कि अपने दीर्घकालीन विविध अनुभव द्वारा मैंने अपने भारतीय कर्मचारियोंको वफादार तथा उपयोगी पाया है और इसलिए मैं उनकी इज्जत करता आया हूँ। मुझे यह विश्वास है कि मेरी उनके प्रति जैसी भावना थी उसके प्रतिदान स्वरूप वे भी मुझमें वैसी निष्ठापूर्वक आस्था रखते थे। उन्होंने उस सहज गौरव तथा शिष्टताकी भी चर्चा की जो भारतीय जातिकी विशेषता है। अन्य अनेक लोगोंकी तरह, सर डेविड भी मानते थे कि तीन पौंडी कर अन्यायपूर्ण है और हमें स्वयं उनसे यह आश्वासन प्राप्त हुआ था कि वे जितनी जल्दी हो सके उसके रद किये जानेका समर्थन करेंगे। अपनी दुर्भाग्यपूर्ण बीमारीके कारण उन्हें रोगमुक्तिकी आशामें स्कॉटलैंड जाना पड़ा; नहीं तो मुझे विश्वास है कि वर्तमान भारतीय राहत विधेयक (इंडियन्स रिलीफ बिल) का सर डेविड हंटरसे अधिक निष्ठावान समर्थक दूसरा न मिलता। उनके सम्बन्धियों और मित्रोंके प्रति हम अपनी सच्ची सहानुभूति और सम्वेदना प्रकट करते हैं, और हम जानते हैं कि सम्पूर्ण भारतीय समाज हमारी भावनाओंके साथ है।

[ अंग्रेजीसे ]

इंडियन ओपिनियन, २४-६-१९१४