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पत्र : रावजीभाई पटेलको

किया गया होता।" यह संशोधनका अर्थ स्पष्ट है और अब जान पड़ता है कि इस विधेयकसे सत्याग्रहियोंकी कानूनी मांगोंकी पूर्ति हो सकेगी। हमें आशा है कि संसद् द्वारा वह शीघ्र ही पास कर दिया जायेगा।

[अंग्रेजीसे]

इंडियन ओपिनियन, १०-६-१९१४

३३०. पत्र : रावजीभाई पटेलको

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बुधवार, ज्येष्ठ वदी ३ [ जून १०, १९१४ ]

रामचन्द्रजी वनवास जाने लगे तब दशरथने उनसे कहा कि कैकेयीको दिये हुए वचनकी कोई परवाह नहीं; वचन भंग होनेपर भी तुम वनमें न जाओ। लौकिक और स्थूल पुत्रप्रेमसे पैदा होनेवाली इस इच्छाका अनादर करके रामचन्द्रजी वनमें गये और सच्ची पितृभक्ति करके उन्होंने राजा दशरथका और अपना भी नाम अमर कर दिया । हरिश्चन्द्रने अपनी स्त्रीको बेचकर और रोहितके गलेपर तलवार रखने तक को तैयार होकर स्त्रीभक्ति और पुत्रप्रेम प्रकट किया । प्रह्लादने पिताकी आज्ञाका उल्लंघन करके पितृभक्ति की और उनका उद्धार किया। मीराबाईने राणा कुम्भाको त्यागकर उन्हें अपना भक्त बना लिया । दयानन्दने अपने माता-पिताके पाससे भागकर, सगाईका इनकार करके अपने पीछे भेजे गये. आदमियोंके हाथसे छूटकर मातृभक्ति और पितृभक्ति ही की। बुद्धदेव अपनी जवान स्त्रीको सोती हुई छोड़कर चल दिये।

ऐसे बहुतसे उदाहरण हमें मिलते हैं । उनका चिन्तन करके तुमपर जो संकट आ पड़ा है उसपर मनन करके सच्ची नीतिके अनुसार जो उचित मालूम हो वही करना । श्रवणके लिए सूक्ष्म और स्थूल भक्ति एक ही प्रवाह की थी, इसलिए हम उसका उदाहरण लेकर प्रायः यह नहीं देख पाते कि सही वस्तु क्या है । सत्य मार्गपर चलनेवालेको संकटके समय हमेशा सत्य मार्ग सूझ जाता है । वैराग्यके पद वगैरा हम जो पढ़ते हैं, वे अगर धर्म-संकटके समय उपयोगी सिद्ध न हों, तो यही माना जायेगा कि हमने उन्हें सिर्फ तोतेकी तरह रट लिया है। उनपर हमने विचार बिल्कुल नहीं किया। गीताजी पढ़कर भी यदि वह अन्त समय हमारी मदद न करे, तो गीताजीका पढ़ना-न-पढ़ना बराबर है। इसलिए मैं हमेशा कहता रहा हूँ: “थोड़ा पढ़ो। परन्तु जो पढ़ो उसपर विचार करो और उसका रहस्य समझकर उसके अनुसार आचरण करने को तैयार रहो। "

स्नेहियों के प्रति वीतराग स्थिति उत्पन्न हो जाये, तभी हृदय सचमुच दयावान बनता है और स्नेहियोंकी सेवा करता है। बाके प्रति मैं जिस हद तक वीतराग बना हूँ, उसी हद तक उसकी सेवा अधिक कर सकता हूँ । बुद्धने अपने माता-पिताको छोड़कर उनका भी उद्धार कर दिया। गोपीचन्दने वैराग्य लेकर अपनी माताके प्रति अत्यन्त शुद्ध