२७८. तार : गो० कृ० गोखलेको
[केप टाउन]
फरवरी २८, १९१४
सविडिया
पूना
मूल तार (सी० डब्ल्यू०४८५४) की फोटो-नकलसे। सौजन्य :
सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी ।
२७९. पत्र: जमनादास गांधीको
फाल्गुन सुदी ३, १९७० [फरवरी २८, १९१४]
एक [पत्र के सिवाय तुम्हारी ओरसे फिर न कोई तार और न कोई पत्र ही मिला। लगता है, तुम्हारे मनमें गुस्सा भरा है। किम्बलेसे लिखा गया तुम्हारा पत्र उचित नहीं है। लेकिन जब तुम्हारा व्यवहार यहीं अवज्ञापूर्ण था, तब पत्रकी शिकायत करना व्यर्थ है! तुम दोनोंके पत्रोंसे पता चलता है कि तुम्हें केप टाउन अनुकूल नहीं पड़ा. ... फीनिक्समें मैं किसीके व्यवहारसे क्यों परेशान नहीं हुआ? भूलता हूँ, एक अपवाद है। कुमारी श्लेसिन । लेकिन वह तो अन्तमें अपना दोष देख सकी। पहले तो उसने मुझे परेशान ही किया । [लेकिन] तुम दोनों तो मेरे, दोष देखने में ही लग गये। कामना करता हूँ कि गम्भीरतासे विचार करो ताकि तुम्हारा मन शान्त हो जाये। मैं आज मणिलालको पत्र नहीं लिख रहा हूँ इसलिए यही पत्र उसको भेज देना।
बापूके आशीर्वाद
जीवननु परोढ
१. यहाँ मूल सूत्रमें ही कुछ शब्द नहीं है ।