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पत्र : गो० कृ० गोखलेको


सब कुछ बतायेंगे। परन्तु मैंने सोचा कि मुझे भी सर बेंजामिनके बारेमें अपने खयालत आपको बता देने चाहिए।

यदि मार्चमें समझौता हो जाता है तो मैं अप्रैलमें भारतके लिए रवाना हो जाना चाहता हूँ। मेरे साथ शायद करीब २० आदमी, औरतें और बच्चे होंगे, जो मेरे साथ रहेंगे। इनमें वे विद्यार्थी बच्चे भी शामिल है जिनके आनेकी सम्भावना है। मुझे पूनामें कहाँ रहना चाहिए-सर्वेन्ट्स ऑफ़ इंडियाके क्वार्टरोंमे या किसी और जगह? आप क्या चाहते हैं? अपने परिवारके लोगोंसे एक बार भेंट कर चुकनेके बाद ही मैं जैसा आप ठीक समझेंगे करनको तैयार रहूँगा। ऐसी सम्भावना है कि मेरे साथ रहनेवाले लोगोंकी संख्यामें कुछ वृद्धि हो जाये, क्योंकि मेरे कुटुम्बके कुछ सदस्य शायद मेरे जीवन और कार्य में हिस्सा बँटाना चाहें। कृपया आप अपनेको मुझे सोसाइटीके क्वार्टरोंमें रखनको बाध्य न मानें। मैंने अपने-आपको आपके सुपुर्द कर दिया है। मैं आपके चरणों में बैठकर सीखना, और आवश्यक अनुभव प्राप्त करना चाहता हूँ। मैं आपके नेतृत्वमें आपके पास रहूँ अथवा न रहूँ, भारत आनेके बाद एक वर्ष तक ईमानदारीसे मौन रहनेके समझौतेका पालन करूँगा। मौन रहनेकी शपथमें, जैसा कि मैंने उसे समझा है, दक्षिण आफ्रिकाका प्रश्न शामिल नहीं है और आपकी इच्छापर किसी ऐसी योजनाकी प्रगतिके लिए, जिसके बारेमें हम दोनों ही एकमत हों, यह शपथ भंग भी की जा सकती है।

आप मेरी वर्तमान आकांक्षा जानते हैं। आज तो वह बस यही है कि मैं आपके समीप एक सेवक और परिचारक बनकर रहूँ। मैं किसी ऐसे व्यक्तिकी आज्ञा माननेका सच्चा अनुशासन पाना चाहता हूँ जिसके प्रति मेरे मन में स्नेह और आदर है। मैं जानता हूँ कि दक्षिण आफ्रिकामें मैं आपका अच्छा सचिव साबित नहीं हुआ। मुझे आशा है कि सचिवकी तरह मेरी सेवाएँ स्वीकार की गई तो मैं मातृभूमिमें बेहतर काम करूँगा।

यूरोपकी जलवायु और अपेक्षाकृत शान्त वातावरणमें आपके स्वास्थ्यको लाभ हो, यह मेरी कामना है।

यह पत्र आपको लगभग मार्च महीनेके मध्यमें मिलेगा। यदि आप मुझसे मेरे कार्यक्रमके सम्बन्धमें कुछ कहना आवश्यक समझें तो आप तार तो देंगे ही। मैं यह भी मानता हूँ कि आप यह नहीं चाहेंगे कि आपके लौटनेसे पहले मैं पूना जाऊँ। फिर भी यदि आप कहेंगे तो मैं अवश्य चला जाऊँगा।

यदि मै भारतके लिए अप्रैलमें रवाना हो सका, तो जो रकम आपने भेजी है, मैं उसका उपयोग सब लोगोंकी यात्रा-टिकट खरीदने में करूंगा। ये सभी टिकट डेकके होंगे। मेरे पास अपना कोई जरिया नहीं है, और फीनिक्स तो पैसेकी कोई मदद कर ही नहीं सकता । उसका कोष बिल्कुल खाली हो चुका है।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी प्रति (जी० एन० ३७७४) की फोटो-नकलसे।