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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


लिए किसी विशेष प्रकारके भोजनकी जरूरत महसूस हो तो मैं समझता हूँ कि वह बनाया जाये अथवा उसे बनानेकी इजाजत दी जाये। यह उचित होगा। श्री ऐंड्रयूजने निस्सन्देह बहुत बड़ा काम किया है।

मोहनदासके आशीर्वाद

[गुजरातीसे]
महात्मा गांधीजीना पत्रो और जीवन- परोढ़

२७१. तार : गो० कृ० गोखलेको

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फरवरी २४, १९१४

रैवरेण्ड श्री ऐंड्रयूज शनिवारको इंग्लैंड रवाना। जानेसे पहले चर्च कौंसिलकी एक बैठकमें भाषण। उसमें बोलनेके लिए मुझे भी आमन्त्रण। वाइस चांसलर (उपकुलपति) की अध्यक्षतामें श्री ऐंड्रयूज़ द्वारा रवीन्द्रनाथ और उनके सन्देशके बारेमें विश्वविद्यालयके विद्याथियोंके समक्ष भी एक भाषण। भारतीय समाजने सार्वजनिक सभामें उनको विदाई दी। कई अंग्रेज श्रोता भी उपस्थित थे। उनके कामका आम असर अत्यन्त अनुकूल रहा। सर्वश्री ऐन्ड्रयूज़ और पियर्सनके शिष्टमण्डलके लिए भारतीय हृदयसे कृतज्ञ। कई यूरोपीयोंने, जिनमें मन्त्री लोग भी हैं, इस यात्राके परिणामपर सच्चा सन्तोष व्यक्त किया। श्री ऐंड्रयूजने चारों ओर सहानुभूति और स्नेहका वातावरण बनाया और शीघ्र समझौतेकी दिशामें अधिक योग दिया।

गांधी

[अंग्रेजीसे]
सर्वेण्ट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी

२७२. पत्र : रावजीभाई पटेलको

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माघ वदी ३०, [फरवरी २४, १९१४ ]'

भाईश्री

जे... के बारेमें लिखा हुआ तुम्हारा पत्र मैंने डॉक्टरको भेज दिया है और म... वाले पत्रको पढ़कर फाड़ दिया है। मुझे ऐसा लगा कि तुम्हारा पत्र उसके हाथमें देनेसे उसपर गलत असर होता। अब सोचता हूँ कि अपने यही उद्गार तुम स्वयं उसे लिख भेजो। उसके बारेमें मेरा बहुत बुरा खयाल बन गया है-तुमने जो विवरण

१. यह पत्र १९१४ में उस समपका लिखा हुआ जान पड़ता है जन गांधीजी स्मटसके साथ समझौता-वार्ताके लिए केपमें थे।