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तार : गो० कृ० गोखलेको

यदि सरकार ऊपर कहे अनुसार कार्य करती है तो हम मान लेंगे कि इस महान संघर्षका अन्त आ गया है। लेकिन यदि सरकार ऐसा न करे तो भी हमारा कुछ नहीं बिगड़ेगा। हम तब और भी अधिक शक्ति लगाकर काम कर सकेंगे। हमने जो कदम उठाये हैं उनसे वाइसराय सन्तुष्ट हुए हैं और यहाँके समाजमें अन्यथा जो उत्तेजना फैल सकती थी वह नहीं फैली है। इससे यह भी साबित होता है कि हमें सलाह देनेवाले भाई-बन्धुओंकी सलाहका हम निरादर नहीं करते। और यदि हमें फिरसे संघर्ष करना पड़ा तो संसारके सम्मुख सत्याग्रहकी प्रभा और अधिक बिखरेगी तथा हम सरकारके अन्याय और अत्याचारोंको विशेष रूपसे प्रकाशमें ला सकेंगे।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २८-१-१९१४

२५६. तार: गो० कृ० गोखलेको'

डर्बन
जनवरी ३०, १९१४

कांग्रेसी सभामें सौसे भी ऊपर व्यक्ति। गहरे मतभेद। बहुमतने साक्ष्य प्रस्तुत करनेके विरुद्ध मत दिया। आयोगके सामने अभी तक केवल तीन गिरमिटिया भारतीय पेश। संघर्षके आरम्भसे ही सत्याग्रहका विरोध करनेवालोंके हाथ कांग्रेसी सभाकी बागडोर। सभाको स्थानीय जनता महत्व नहीं देती। आम यूरोपीयोंकी भावना हमारे पक्षमें होती जा रही है। सीनेटके एक प्रभावशाली सदस्य द्वारा कल फीनिक्समें गांधीजीसे व्यक्तिगत भेंट। अत्यन्त मैत्रीपूर्ण। वे समझौतेके लिए हर सहायताको तैयार। बीतेको बिसारनेकी सलाह। चिन्ता की बात नहीं।

[अंग्रेजीसे]
टाइम्स ऑफ़ इंडिया, २-२-१९१४

१. यह तार गांधीजी और सी० एफ० ऐंड्यजने भेजा था।

२. डर्बनकी इस सभाके बारेमें रायटर की दक्षिण आफ्रिका प्रेस एजेंसीने २८ जनवरीको निम्नलिखित समाचार प्रसृत किया था : “आज रात नेटाल भारतीय कांग्रेसकी एक सभामें निर्णय किया गया कि भारतीय जाँच आयोगके सामने साक्ष्य प्रस्तुत किया जाये। यह संस्था गांधीकी समर्थक नहीं है।" रैंड डेली मेल, २९-१-१९१४ ।