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२५३. तार : गो० कृ० गोखलेको

डर्बन
जनवरी २६, १९१४

डर्बन, प्रिटोरिया, जोहानिसबर्ग और अन्य शहरोंमें भारतीयोंकी सार्वजनिक सभाओंमें समझौतेका निर्विरोध अनुमोदन।

[अंग्रेजीसे]
टाइम्स ऑफ इंडिया, २८-१-१९१४

२५४. पत्र : भारतीय परिवेदना आयोगको

डर्बन
जनवरी २६, १९६४

अध्यक्ष

भारतीय परिवेदना आयोग
डर्बन

[महोदय],

हमें मालूम हुआ है कि हमारी सजाओंकी अवधि पूरी होनेके पूर्व ही हमें पिछले माहकी १८ तारीखको कारावाससे मुक्त करनेका कारण भारतीयोंकी शिकायतोंसे सम्बन्धित आयोग (भारतीय परिवेदना आयोग) की सिफारिश है। इसमें इसका मन्शा यह है कि भारतीय समाज अपना मामला तैयार करने और उसे आयोगके सामने पेश करने में हम लोगोंसे जो सहायता लेना चाहे, ले सके। इसलिए हमें इस बातका बहुत ही अधिक खेद है कि हम लोग इस अवसरका लाभ उठाने में असमर्थ है और इसके कारण हममें से प्रथम हस्ताक्षरकर्ता [गांधीजी] और गृहमन्त्रीके बीच हुए पत्र-व्यवहारमें पहले ही बताये जा चके हैं। हम समझते हैं कि उस पत्र-व्यवहारका आशय आयोगको पहले ही ज्ञात हो चुका है। तथापि अवसर देनेके लिए हम आयोगके कृतज्ञ है।

हमें हार्दिक विश्वास है कि उस पत्र-व्यवहारमें बताई परिस्थितियोंमें आयोगके सामने हमारा उपस्थित न होना अशिष्टताका कार्य नहीं समझा जायेगा।

मो० क० गांधी
एच० एस० एल० पोलक
एच० कैलनबैक

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, २८-१-१९१४

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