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२५२. भाषण : सार्वजनिक सभामें।'

[डर्बन
जनवरी २५, १९१४]

श्री गांधीने अस्थायी समझौतेको शतोंकी व्याख्या करनेसे पहले सभाको बतलाया कि श्री ऐण्ड्यूजको इंग्लैंडसे एक पत्र मिला है, जिसमें उनकी प्रिय माताके मरणासन्न होनेका समाचार है, जबकि उनको आशा थी कि इंग्लैंड पहुचकर वे अपनी माताके दर्शन करेंगे। श्री गांधीने यह भी बतलाया कि प्रिटोरियामें समझौतेके सिलसिलेमें अत्यधिक परिश्रम करने के कारण श्री एण्ड्य जको ज्वर आ गया था। इस सबके बावजूद भी श्री एण्ड्रयूजका आग्रह था कि वे सभामें अवश्य शरीक होंगे।

श्री गांधीने पूरे विस्तारके साथ अंग्रेजी और हिन्दुस्तानी, दोनोंमें भाषण किया। बादमें उनके भाषणका तमिलमें अनुवाद किया गया। श्री गांधीने कहा कि आशा है कि अंग्रेजीमें भाषण सुननेवालोंने समाचारपत्रोंमें जो कुछ प्रकाशित हुआ है, वह सब पढ़ लिया होगा, लेकिन फिर भी मैं सरकारके साथ हुए समझौतेका आशय आपको बतलाता हूँ। जनरल स्मट्ससे पहली मुलाकातके समय मैंने उनके सामने तीन प्रस्ताव रखे थे, जिनमें से किसी एकके भी स्वीकृत हो जानेपर समाज कुछ समय पहले इसी आधारपर की गई अपनी औपचारिक प्रतिज्ञाको भंग किये बिना आयोगके सामने साक्ष्य प्रस्तुत कर सकता था। ये वैकल्पिक प्रस्ताव थे: या तो सरकार एक दूसरा आयोग नियुक्त करे और वर्तमान आयोगका क्षेत्र केवल दुर्व्यवहार और क्रूरताके सम्बन्धमें लगाये गये आरोपोंकी न्यायिक जांच करने तक सीमित कर दे और दूसरा आयोग शिकायतोंपर विचार करे और समाज दोनों ही आयोगोंके सामने साक्ष्य प्रस्तुत करे; या आयोगमें भारतीय हितोंका प्रतिनिधित्व करनेके लिए एक और सदस्य शामिल किया जाये, जो क्रूरताके सम्बन्धमें लगाये जानेवाले आरोपोंसे भिन्न, खास तौरपर शिकायतोंके विवरणकी सुनवाईके लिए ही आयोगमें बैठे, जिससे कि इस आयोगके कार्य स्पष्टतः दो भागों-- न्यायिक और राजनीतिक कामों--में अलग-अलग बॅट जायें; या फिर वर्तमान आयोगका क्षेत्र केवल न्यायिक जांच-पड़ताल तक ही सीमित कर दिया जाये और समाजकी ओरसे आयोगके सामने किसीके पेश होनसे पहले ही सरकारको श्री काछलियाके पत्रमें उल्लिखित समाजके अनुरोधको-- उसके पाँचों मुद्दोंको स्वीकार कर लेना चाहिए अर्थात् (१) तीन-पौंडी कर रद करना; (२) भारतीय पत्नियोंका दर्जा बहाल करना, उनको वही दर्जा देना जो सर्ले के निर्णयसे पहले था; (३) दक्षिण आफ्रिकामें

१. नेटाल भारतीय संघके तत्वावधानमें तीन हजारसे अधिक भारतीयोंकी एक सार्वजनिक सभा गांधीजी और स्मटसके बीच हुए अस्थापी समझोतेके ब्यौरेपर विचार करने और उसपर कार्रवाई करनेके लिए की गई थी। इमाम अब्दुल कादिर बावजीरने उसकी अध्यक्षता की थी।

२. देखिए “पत्र: गृह-सचिवको", पृष्ठ १७७-८० ।