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२४९. भेंट : 'रैंड डेली मेल' के प्रतिनिधिको

[जोहानिसबर्ग
जनवरी २३, १९१४]

कल 'मेल' के एक प्रतिनिधिने श्री मो० क० गांधीसे मौजूदा स्थितिके बारेमें एक विवरण देनेको कहा। श्री गांधी नंगे पाँव रहते हैं और सादे सफेद कपड़े पहनते हैं। यह इस बातका संकेत देते हैं कि अब भारतीय दृष्टिकोण कितना धार्मिक स्वरूप लेता जा रहा है। श्री गांधीने अपना दफ्तर १५ ऐन्डर्सन स्ट्रीटपर खोला है। यहाँसे वे अपने उन देशभाइयोंसे जो जेलमें हैं सम्पर्क रखते हैं, और बाकी संसारसे भी तारफोन द्वारा सम्पर्क बनाये रखते हैं।

[गांधीजीः] जिस भावनासे भारतीय आयोगमें भारतीय-हितोंका प्रतिनिधित्व न होनेके कारण उत्पन्न गतिरोधको सुलझानेका प्रयत्न कर रहे है, मैं आशा करता हूँ कि यूरोपीय जनता उसे समझेगी; और मुझे यह भी आशा है कि मैं अपने देशवासियोंको मेरे साथ कारावासमें हुए दुर्व्यवहारके आरोपोंके सम्बन्धमें जो रुख अपनानेकी सलाह दे रहा हूँ उसे समझ कर वे भी तदनुसार रुख अपनायेंगे।

हमारा सत्याग्रहको मुल्तवी करना और आरोपोंके सम्बन्धमें किसी प्रकारका कदम न उठाना जनता और सरकारको उन पाँचों मुद्दोंपर, जिन मुद्दोंके औचित्यके कारण सत्याग्रहका आरम्भ किया गया और मेरी रायमें जिन्हें लगभग समस्त संसारकी सहानुभूति मिली है, शान्तिसे विचार करनेकी स्वतन्त्रता देता है। कोई भी विवेकी व्यक्ति इस बारेमें सन्देह नहीं कर सकता कि भारतीय विवाहोंको काननी मान्यता दिलाना या ३ पौंडी करको बिना शर्त समाप्त करवाना हमारा हक है। जैसा कि मैं पहले ही कह चुका हूँ कि सत्याग्रहके अन्य मुद्दोंको केवल प्रशासनिक हलकी जरूरत है। जैसा आप पत्रसे देखेंगे कि ये मुद्दे हूबहू वही हैं जिन्हें पिछले वर्ष सत्याग्रहके पुनरारम्भसे पहले श्री काछलियाने, सरकारको लिखे गये पत्रमें, गिनाया था। अन्तमें मैं कहना चाहूँगा कि सरकार द्वारा हमारे सत्याग्रही बन्दियोंको रिहा किये जानेकी हम कद्र करते हैं।

[अंग्रेजीसे]
रैड डेली मेल २४-१-१९१४