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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


समय रहना चाहता हूँ। तुमसे जो बन पड़े सो करना। जनरल स्मट्ससे सन्तोषजनक जवाब प्राप्त होनेपर ही थोड़ा अवकाश मिलने की सम्भावना है। बच्चे पुनः नियमित बन सकें इस ओर पूरा ध्यान रखना।

मोहनदासके आशीर्वाद

[गुजरातीसे]
महात्मा गांधीजीना पत्रो और जीवन- परोढ़

२४८. तार : गो० कृ० गोखलेको'

जोहानिसबर्ग
जनवरी २२, १९१४

सरकार और मेरे बीच पत्र-व्यवहार। अस्थायी समझौतेका वचन। सरकार आयोगके सम्बन्धमें पेश किये गये तीनों प्रस्तावोंमें से किसीको भी स्वीकार करने में असमर्थ लेकिन शीघ्र हल निकालनेकी इच्छा भी व्यक्त। उसे सलाह-मशविरा करने और पूरा-पूरा अवसर देनेका सिद्धान्त स्वीकार। हम गवाही देकर प्रतिज्ञा भंग नहीं कर सकते लेकिन रॉबर्टसनकी यथासम्भव सहायता करेंगे। सरकारकी कठिनाईको समझते हुए हम आगामी सत्रके दौरान प्रस्तावित विधान लानेके आश्वासनपर सत्याग्रह स्थगित करते है। आरोपों के सम्बन्ध में सत्याग्रहीके नाते हम अपनी प्रामाणिक गवाहियाँ देकर पुराने जख्मोंको नहीं कुरेदेंगे। सरकार हमारी सदाशयता मानती है और आरोपोंके सम्बन्धमें खुद भी गलत किस्मकी गवाहियाँ नहीं देगी। सभी बन्दी रिहा कर रही है। अपने कार्यको अनमोदन देनेके लिए समाजके सामने रख रहा हूँ। हमने सभी स्थितियों और आपकी और वाइसरायकी भावनाओंपर भी विचार किया है। मैंने और ऐंड्रयूजने मिलकर समझौतेका मसविदा तैयार किया। स्मट्ससे पिछली भेंटके समय ऐंड्रयूज उपस्थित थे। शनिवारको शायद डर्बन पहुँच जाऊँ।

गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरों में मूल अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ५९२९) की फोटो-नकलसे।

१. इसका विस्तृत वृत्तान्त जनवरी २४, १९१४ के हिन्दू और टाइम्स ऑफ इंडियाके अंकोंमें प्रकाशित हुआ था।

२. आयोगके गठनसे सम्बन्धित प्रस्तावोंके व्यौरेके लिए देखिए भाषण : सार्वजनिक सभामें", पृष्ठ ३२७-३० ।

३. ऐड्यूजने स्मटस और सर बैंजामिन रॉबर्टसनसे बातचीत की थी। उन्होंने जनवरी १३ को गवर्नर-जनरलसे निजी तौरपर मुलाकात की थी, उसका विवरण गवर्नर-जनरलने एक खरीतेके साथ कलोनियल ऑफिस भेजा था, देखिए परिशिष्ट २२ ।

४. अस्थायी समझौतेके आशयके अधिकृत विवरणके लिए देखिए परिशिष्ट २० ।