पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/३६१

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३२३
पत्र : रायजीभाई पटेलको

(३) केपमें प्रवेशका प्रश्न ।

(इसके बारेमें मन्त्री महोदयको बतलाये गये स्पष्ट संरक्षणकी बातको ध्यानमें रखते हुए केवल प्रशासकीय राहत अपेक्षित है।) (४) ऑरेंज फ्री स्टेटका प्रश्न।

(इसके लिए तो पहलेसे दिये गये आश्वासनमें केवल कुछ मौखिक परिवर्तन करना पड़ेगा।)

(५) और यह आश्वासन कि वर्तमान कानून, विशेषकर उसके भारतीयोंको प्रभावित करनेवाले भागको, उसमें निहित अधिकारोंका समुचित ध्यान रखकर, न्यायपूर्ण ढंगसे लागू किया जायेगा।

तीसरे, चौथे और पाँचवें मुद्दे के बारेमे तो कठिनाई है नहीं; इसलिए मेरा सुझाव नवासी भारतीय जनताके प्रति सरकारके सद्भावके प्रतीक-स्वरूप इन मुद्दोंके बारेमें अपेक्षित राहत अभी दे दी जाये।

मुझे आशा है और भरोसा भी कि मन्त्री महोदय मेरे द्वारा पेश किये गये मुद्दोंको स्वीकार कर लेंगे। तब मैं भी अपने देशवासियोंको इस पत्रमें व्यक्त की गई भावनाके अनुरूप परामर्श देनेके लिए तत्पर रहूँगा।

आपका,
मो० क० गांधी

[अंग्रेजीसे]

रैड डेली मेल, २३-१-१९१४

और कलोनियल ऑफ़िस रेकर्ड्स ५५१/५४ भी

२४७. पत्र : रावजीभाई पटेलको

प्रिटोरिया
बुधवार, पौष वदी १०, [जनवरी २१, १९१४]

प्रिय श्री रावजीभाई,

मै श्री ऐंड्रयूजके साथ आज ही जोहानिसबर्ग जानेका विचार करता था किन्तु वैसा हो नहीं सका। जनरल स्मट्सने मेरे पत्रका जो जवाब दिया है वह सन्तोषजनक नहीं है। उसमें यथासम्भव सुधार करा लेनेकी आशासे कल भी रुक रहा हूँ। सन्तोषजनक जवाब मिल जाये तो भी यह तो नहीं मान लूंगा कि समझौता हो चुका; पर तो भी उस दिशामें यह एक बड़ा कदम अवश्य होगा। इतना समय नहीं है कि सब कुछ समझा सकू। अभी तत्काल फिर सर बेंजामिनसे मिलने जा रहा हूँ।

मगनभाईका रोग पिंड नहीं छोड़ रहा है यह जानकर मुझे आश्चर्य होता है। उसके रोगकी गतिविधिका निरीक्षण करनेके लिए भी फीनिक्समें निश्चित होकर कुछ

१. गृह-मन्त्रीके उत्तरके लिए, देखिए परिशिष्ट २१; तथा दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास, अध्याय ४९ ।