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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मैने देखा है कि मन्त्री भी इन आपत्तियोंको बिल्कुल बेमतलब नहीं मानते। वे इनको सदाशयतापूर्ण आपत्तियाँ मानते है। लेकिन अपना निर्णय बदलने में वे असमर्थ हैं। फिर भी चूंकि उन्होंने मुझे भेटका अवसर देकर विचार-विमर्शके सिद्धान्तको स्वीकार करनेकी कृपा की है इसलिए मैं भी अपने देशवासियोंको राय दे सकता हूँ कि वे आयोग द्वारा किसी निष्कर्षपर पहुँचने और आगामी सत्रके दौरान विधान प्रस्तुत होने तक सक्रिय प्रचार करके आयोगके काममें बाधा न डालें और सक्रिय रूपसे सत्याग्रह आरम्भ करके सरकारकी स्थिति कठिन न बनायें।

यदि विचार-विमर्शके सिद्धान्तके बारेमें सरकारी दृष्टिकोणका मेरा विवेचन सही है तो हम आगे भी सर बैंजामिन रॉबर्टसन, जिनको वाइसरायने अपनी शालीनतापूर्ण दूरदर्शिताके बलपर आयोगके सामने गवाही देनेका काम सौंपा है, की सहायता कर सकेंगे।

नेटालमें भारतीयोंको हड़तालके समय उनके साथ हुए दुर्व्यवहारके आरोपोंके प्रश्नके सम्बन्धमें भी यहाँ कुछ कह देना आवश्यक है। आयोगके जरिये उनको सिद्ध करनेका मार्ग ऊपर बताये गये कारणोंसे हमारे लिए बन्द हो चुका है। हमारे पास प्रामाणिक साक्ष्य है, लेकिन उसे प्रकाशित करके अवमानके आरोपोंके सम्बन्धमें की गई कार्रवाईको गलत ठहराना मुझे व्यक्तिगत रूपसे नापसन्द है। इन आरोपोंके बावजूद मैं तो पुराने जख्मोंको बिलकुल नहीं कुरेदूंगा। मैं मन्त्री महोदयको आश्वस्त करता हूँ कि सत्याग्रही होने के नाते हम भरसक प्रयत्न करेंगे कि व्यक्ति विशेषके साथ की गई ज्यादतियोंका प्रश्न न उठाया जाये। परन्तु हमारे मौन रहनेका कहीं गलत अर्थ न लगा लिया जाये, इसलिए मैं चाहता हूँ कि मन्त्री हमारी सदाशयताको मान्यता दें और आयोगके सामने इन आरोपोंके सम्बन्धमें गलत प्रकारकी गवाहियाँ पेश न करके अपना सहयोग दें।

और, सत्याग्रह स्थगित करनेके साथ ही हमारी प्रार्थना है कि साधारण जेलों या जेल घोषित कर दिये गये खान-अहातोंमें इस समय सजा काटनेवाले वास्तविक सत्याग्रहियोंको रिहा कर दिया जाय।

अन्तमें यहाँ उन बातोंको दोहराना असंगत नहीं रहेगा जिनके बारेमें राहत मांगी गई है। वे इस प्रकार है:

(१) तीन-पौंडी कर इस ढंगसे रद किया जाये कि उससे विमुक्त किये जानेवाले भारतीयोंका दर्जा लगभग वही रहे जो १८९१ के नेटाल कानून २५ के अन्तर्गत मुक्त किए गये गिरमिटिया भारतीयोंका है।

(२) विवाह सम्बन्धी प्रश्न।

(मैने ये दोनों मुद्दे मौखिक रूपसे पेश किये हैं। इनके बारेमें नई वैधानिक व्यवस्था दरकार है।)

१. देखिए दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास, अध्याय ४८ ।

२. चूँकि सभी सत्याग्रहियोंको रखनेके लिए जेलोंमें स्थान नहीं रह गया था, इसलिए सरकारने खानोंके अहातोंका जेलोंकी तरह इस्तेमाल किया था ।