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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सम्बन्धी जो स्थिति सर्लके निर्णयसे पहले थी, वह यथावत् बनी रहे। बच्चोंके सम्बन्धमें जारी की गई हिदायतें भी रद करना जरूरी है।

क्या मैं यह भी कह सकता हूँ कि सरकारको विवाह या बच्चोंकी उम्र या वल्दीयत-सम्बन्धी जो प्रमाण चाहिए, उनके विषयमें वह यदि समाजके प्रमुख लोगोंसे परामर्श कर ले तो उत्तम होगा। मुझे विश्वास है कि भारतीय समाज पत्नियों और बच्चोंके सम्बन्धमें जालसाजी या धोखाधड़ीसे बचनेकी दृष्टिसे जाँच-पड़तालमें सरकारसे सहयोग करने के लिए पूरी तरह तैयार है।[१]

आपका विश्वस्त
[मो० क० गांधी]

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ५७४७) की फोटो-नकलसे।

२. तूफानका संकेत

जैसा कि बिलकुल मुनासिब था, जोहानिसबर्गने तूफानका संकेत कर दिया है। ब्रिटिश भारतीय संघने जो विशाल सार्वजनिक सभा[२] बुलाई थी वह पूरी तरह सफल रही। श्री काछलियाने विनयपूर्ण, पर दृढ़ चेतावनी दे दी है कि दक्षिण आफ्रिकामें कुछ ऐसे भारतीय है जो अपने तथा अपने देशके सम्मानके लिए अपना सर्वस्व देनेको तैयार हैं। हमें विश्वास है कि सभाने जो प्रस्ताव पास किये है उनपर सरकार गम्भीरतापूर्वक विचार करेगी।

ऐसा लगता है कि इस सभाका सरकारपर कुछ प्रभाव पहले ही पड़ चुका है। जोहानिसबर्ग सभाकी रायटरने जो रिपोर्ट दी है उसके तुरन्त बाद ही सर्लके फैसलेकी किसीके इशारेपर सफाई दी गई है। वह तार[३]

जिसे हम पूरा छाप रहे है। न्यायाधीश सर्लके फैसलेके पूर्ण प्रभावको हल्का करके बतानेकी लंगड़ी और लचर कोशिश है। बाई मरियमकी सचाईपर शंका प्रकट की गई है; और बहुविवाहका

सवाल नाहक ही खड़ा कर दिया गया है। किन्तु सर्लका फैसला इतना साफ और सुस्पष्ट है कि उसपर स्पष्टीकरणको आवश्यकता नहीं है। विद्वान् न्यायाधीशने स्वयं

  1. १. गांधीजीके उक्त पत्रके उत्तर में श्री फिशरने गृहमंत्रीकी ओरसे उत्तर दिया कि दक्षिण आफ्रिकामें यूरोपीयों के आनेके बादसे केवल वे ही विवाह वैध माने जाते रहे है जो किसी मान्यताप्राप्त विवाह-अधिकारी के सामने हुए हैं, और सर्लके फैसलेसे किसी नये सिद्धान्तकी स्थापना नहीं हुई है । इसी आधार-पर गृह-मन्त्रीने गांधीजी द्वारा उठाये गये विवाह-सम्बन्धी मुद्देको अस्वीकार करते हुए प्रवासी विधेयकमें फेर-बदल करनेसे इनकार कर दिया । बच्चों और पत्नियोंके प्रवेशके विषयमें उन्होंने यह आश्वासन दोहराया कि सरकारका इरादा चाल पद्धतिको बदलनेका नहीं है।
  2. २. यह सभा मार्च ३०, १९१३ को हुई थी। उसमें पास किये गये प्रस्ताओंके लिए देखिए परिशिष्ट २ ।
  3. ३. इसे पहाँ नहीं दिया जा रहा है ।