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जनरल स्मटससे भेंट


सन्तुष्ट हो जायेंगे। श्री गांधीने कहा कि इस तरह हमारी शर्ते तो पूरी हो जायेंगी, लेकिन यदि परवाने की व्यवस्था रखनी ही है तो परवाने स्थायी किस्मके होने चाहिए; उनके साल-दर-साल बनवानकी अपेक्षा नहीं रहनी चाहिए।

(ख) विवाहका प्रश्न : उन्होंने बिलकुल स्पष्ट ढंगसे यह तो नहीं बतलाया कि वे ठीकठीक क्या चाहते हैं, लेकिन जनरल स्मट्सका अपना अनुमान था कि वे जो चाहते हैं वह अनुचित नहीं है और यदि वस्तुतः एक ही विवाह करनेवाले पतियोंकी पत्नियोंको संवैधानिक रूपसे मान्यता दे दी जाये तो शायद भारतीय सन्तुष्ट हो जायेंगे।

(ग) दक्षिण आफ्रिकामें जन्मे भारतीयोंका केप प्रान्तमें प्रवेश : श्री गांधीने इसके सम्बन्ध कानून पास करने का आग्रह नहीं किया। वे केवल यह आश्वासन चाहते थे कि कानून इस तरह लागू किया जाये कि केपमें प्रवेशके इच्छुक भारतीयोंको शैक्षणिक परीक्षामें न बैठना पडे। यह इस शर्तपर कि थोडेसे भारतीय ही इस प्रकार प्रवेश करेंगे और यदि उनकी संख्या अधिक हुई तो उनको परीक्षामें बैठना पड़ेगा। मैं यह तो नहीं कह सकता कि समझौतेके ठीक-ठीक शब्द क्या थे, लेकिन मुझे यकीन है कि उसका सार यही था।

(घ) ऑरेंज फ्री-स्टेटके कानूनके अन्तर्गत अपेक्षित शिनाख्ती ब्यौरा बतलाना : जनरल स्मट्सने बतलाया कि सरकारने पहले ही श्री जॉर्जेसके १९ अगस्तके पत्र (सी० डी०

आभास है । लेकिन कुल मिलाकर परिस्थिति अब पहलेसे कहीं अधिक आशापूर्ण है। यह मेरी पदावधिके दौरान इतनी आशापूर्ण कभी नहीं थी।"

"जनरल स्मटस और श्री गांधी, जनरल स्मटस और सर बेंजामिन रॉबर्टसन और सर मेंजामिन रॉबर्टसन तथा श्री गांधीकी अनेक बार व्यक्तिगत रूपसे भेंट हो चुकी है । श्री ऐंड्यज, मन्त्री महोदय और सर बेंजामिन रोबर्टसनसे भी बातचीत कर चुके हैं। जनरल स्मटसने अत्यन्त धैर्य और मैत्रीपूर्ण ढंगसे बात की। कई वर्षोंसे श्री गांधीके साथ कई बार विवाद चलनेके बावजूद उनके प्रति जनरल स्मटसका रवैया बड़ा सहानुभूतिपूर्ण बना हुआ है । वे श्री गांधीको एक असाधारण व्यक्ति मानते हैं, जिनकी विलक्षणताएँ मन्त्री महोदयके लिए चाहे जितनी असुविधापूर्ण हों, पर उनका अध्ययन करनेवालेके लिए उनमें आकर्षण तो है ही। सरबजामिनने बड़ी कुशलता, न्यायपूर्णता और तर्कसंगतिका परिचय दिया है । उन्होंने जनरल स्मटस ही नहीं, प्रधान मन्त्रीके साथ भी बड़े अच्छे सम्बन्ध बना लिये हैं, और उन्होंने मन्त्रिमण्डलके अन्य सदस्योंसे परिचय करके उनके साथ मैत्री स्थापित कर ली है और उनकी दृढ़ता तथा कौशलपूर्ण सूझबूझने श्री गांधीको अत्यधिक प्रभावित किया है और उनको कुछ सीमाओंमें रखा है। श्री गांधीसे वार्ता चलाना किसी भी यूरोपीयके लिए आसान काम नहीं है। पाश्चात्य वातावरणमें पले हुए लोग यह नहीं समझ पाते कि श्री गांधीको अन्तरात्मा कव, किस तरह सोचेगी, और इसके कारण कई वार ऐसी जगह बात अटक जाती है जहाँ उसके अटकनेकी विलकुल आशंका नहीं होती । लगता है कि उनके नैतिक और बौद्धिक दृष्टिकोणमें आध्यात्मिकता और बुद्धि-कौशलका एक विचित्र-सा योग है, जो साधारण ढंगसे सोचने-विचारनेवालोंकी समझमें नहीं आता । फिर भी व्यावहारिक ढंगसे चीजोंको कैसे किया जाये, इसके बारे में काफी हदतक समझौता हो गया है।"