पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/३५६

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

२४४. एक महत्त्वपूर्ण सलाह'

मैंने सुना है कि कई भारतीय भाई अपनी पहली गिरमिट खत्म होनेपर फिर दूसरी बार गिरमिटमें बँध जाते है। सभी भाई यह तो जानते ही होंगे कि दूसरी बार गिरमिटमें बँधना आवश्यक तो नहीं है। तीन पौंडी करकी छूट हो जानेपर दूसरी बार गिरमिट स्वीकार करनेका कारण ही नहीं बचेगा। इसलिए इस संघर्षके चलने की अवधिमें दूसरी गिरमिट मंजूर करके गुलामी स्वीकार न करें। जिन लोगोंके हाथ में यह अखबार नहीं पहुंच पाता और जो लिखना पढ़ना भी नहीं जानते--मैं उम्मीद करता हूँ कि प्रत्येक पढ़ा-लिखा व्यक्ति उनतक यह बात पहुंचाना अपना कर्तव्य समझेगा।

मोहनदास करमचन्द गांधी

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १४-१-१९१४

२४५. जनरल स्मट्ससे भेंट

प्रिटोरिया
जनवरी १६, १९१४

श्री गांधीने गत शुक्रवारको जनरल स्मट्सके सामने जो मूल प्रस्ताव रखा था, वह इस प्रकार था:

उन्होंने चार मुद्दोंपर निश्चित आश्वासन देनेको कहा :

(क) तीन पौंडी कर: जनरल स्मट्सने उनसे पूछा कि यदि परवानेकी व्यवस्था बनी रहे किन्तु उससे सम्बन्धित शुल्क लेना बन्द कर दिया जाये तथा १८९५ के नेटाल अधिनियम १७ की व्यवस्थाओंमें और कोई रद्दोबदल न किया जाये तो क्या आप

१. इंडियन ओपिनियनके इसी अंकके हिन्दी विभागमें इसका हिन्दी अनुवाद भी प्रकाशित किया गया था।

२. गांधीजी और जनरल स्मटसकी १६ जनवरीकी भेंटमें जो बातचीत हुई थी, उसका अधिकृत विवरण, गवर्नर-जनरल लॉर्ड ग्लैडस्टन द्वारा उपनिवेश मन्त्रीको २२ जनवरीको भेजे गये एक गुप्त खरीतेसे, लिया गया है। मेंटका अन्य कोई विवरण उपलब्ध नहीं। गवर्नर-जनरलने इसका विवरण देते हुए लिखा था: “इस देशमें मेरी सरकार और भारतीय समाजके बीच मुख्य-मुख्य विवादग्रस्त मुद्दोंपर शीघ्र ही समझौता होनेकी सम्भावना गत सप्ताहसे स्पष्ट ही बढ़ गई है । वैसे बाधाएँ अभीतक हैं और उनको अनदेखा करना बुद्धिमत्तापूर्ण नहीं होगा, और दोनों पक्षोंकी परस्पर सहमतिसे कोई विधान पास करनेसे पहले कुछ ऐसी भी बाधाएँ सामने आ सकती हैं जिनका अभी कोई अनुमान नहीं है, या बहुत ही हलका-सा