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भेंट : प्रिटोरिया न्यूज' के प्रतिनिधिको


सो तो मालूम है, परन्तु उसके प्रति आपका रुख क्या है ? मेरा कोई रुख नहीं है। ऐसी विषम-स्थितिमें हम-जैसे उपेक्षित लोगोंका, जिनका कोई वोट न हो, क्या रुख हो सकता है?

मेरा मतलब यह है कि सरकार इस समय परेशानीमें पड़ी हुई है तो क्या आप इसका लाभ उठाकर अपना सत्याग्रह और हड़ताल-आन्दोलन फिर शुरू करेंगे?

श्री गांधी विचार-निमग्न दिखाई दिये। वे एक क्षण रुककर बोले: । यह हमारी नीति कभी नहीं रही।

सो सब छोड़िए, स्पष्ट कहिये। पहले आपकी नीति क्या थी, इसकी परवाह किये बिना यह बताइये कि इस मौकेपर आप क्या करने जा रहे हैं?

जहाँतक मेरा सवाल है ऐसे मौकेपर में सरकारको और परेशानी देनेवालोंमें शामिल नहीं होऊँगा। हमने गत जुलाईमें रैडके खनिकोंकी हड़तालके दरमियान जो नोति अपनाई थी इस समय भी हम वही अपनाएंगे। उस समय हमने संघर्ष स्थगित कर दिया था, जरूरत पड़ी तो हम फिर वैसा ही करेंगे। मैं चाहता हूँ कि हमारे तथा रेलवेके लोगोंके मसलोंको लेकर कोई गलतफहमी न हो; यदि हम इस समय सत्याग्रह शुरू करें तो गलतफहमी हो सकती है। बहरहाल, मैं सरकारको स्थितिका नाजायज फायदा नहीं उठाना चाहता . . .।

मुझे आशा है कि जो बातचीत अभी चल रही है उससे, और दक्षिण आफ्रिकामें हमारे यूरोपीय दोस्तोंके आवेदनोंसे फिर सत्याग्रह करनेकी जरूरत नहीं रह जायेगी। और चाहे जो हो (यह बहुत जोर देकर), मन्त्री महोदयका जवाब हमें अनुकूल मिले अथवा प्रतिकूल, हम तबतक कार्यवाही नहीं शुरू करेंगे जबतक रेलवेका मामला निबट नहीं जाता । मैं इसके लिए आपको व्यक्तिगत आश्वासन देता हूँ।

[अंग्रेजीसे]
प्रिटोरिया न्यूज, ९-१-१९१४

१. देखिए “जोहानिसबर्गमें उपद्रव", पृष्ठ १२७-२९ ।

२.१४-१-१९१४ के इंडियन ओपिनियनमें इस कथनका सारांश छापा गया था। गवर्नर जनरल लॉर्ड ग्लैडस्टनने उपनिवेश कार्यालयको इस भेंटकी कतरन भेजी थी और यह भी लिखा था कि श्री गांधीने व्यक्तिगत आश्वासन दिया है कि मैं और मेरे साथी रेलवे हड़तालका निपटारा होने तक कोई कार्यवाही नहीं करेंगे । इस निर्णयका इंग्लैंड और दक्षिण आफ्रिकाके गोरोंपर भी बड़ा अनुकूल प्रभाव पड़ा।