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भेंट : रायटर के प्रतिनिधिको


पत्रने मुझे तुम्हें लिखनेपर विवश कर दिया है। मेरा खयाल है कि रिहा होनेपर तुम मुझसे और अपनी माँसे मिलोगे। रामदास चंगा दीखता है; उसने अच्छा काम किया है, देवदास बड़ा बहादुर निकला। उसने दायित्व निभानकी अपनी शक्तिका जैसा परिचय दिया है उसकी आशा नहीं थी। प्रभुदासने भी लगभग उतनी ही क्षमता दिखाई है, परन्तु उसमें देवदास जितनी फुर्ती नहीं है। घरमें सभी महिलायें स्वस्थ हैं और तुमसे मिलनेको उत्सुक हैं। मुझे अफसोस है कि तुम अधिक नहीं पढ़ पाये। मेरा खयाल है कि यदि तुम अधिक पुस्तकोंके लिए मजिस्ट्रेटको लिखो तो वह मंजूरी दे देगा। तुम उसे याद दिला सकते हो कि जोहानिसबर्गकी और दूसरी सभी जेलोंमें तुमने जो पुस्तकें चाही थीं उनको मॅगानकी अनुमति दे दी गई थी। तुमको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि ब्लूमफॉन्टीनमें मै अध्ययनमें जुट गया था और अपने अध्ययनमें बाधा पडनेका मझे हार्दिक दुःख होता था। मैं ठोस अध्ययनमें करीब आठ घण्टेका समय लगाता था, खास तौरपर तमिलकी पढ़ाईमें। अधिकारियोंने कृपापूर्वक मुझे सभी प्रकारकी सुविधाये दे रखी थीं। तुमको शायद मालूम होगा कि तुम्हारे जेल जानेसे पहले जमनादास आ गया था। वह क्रिस्टियानामें है। हरिलाल शायद जल्द ही लौट आये। रुपया मेढके पिताको भेजा गया था। हम सभीकी ओरसे स्नेह ।

तुम्हारा
बापू

गांधीजीके स्वाक्षरों में मूल अंग्रेजी पत्र (सी० डब्ल्यू० ५६८४) की माइक्रोफिल्मसे। सौजन्य : लुई फिशर

२४०. भेंट : रायटरके प्रतिनिधिको

डर्बन
जनवरी ४, १९१४

गन्नेके सुविख्यात बागान-मालिक सिनेटर कम्बल और श्री गांधीके बीच हुए पत्रव्यवहारके सम्बन्ध रायटरके एक प्रतिनिधिसे भेंटमें श्री गांधीने कहा कि मैंने श्री केम्बेलसे अपना सहयोग और सहानुभूति देते रहनका अनुरोध किया है।

श्री कैम्बलने जवाबमें कहा कि मैं अपनी इस रायपर कायम हूँ कि तीन पौंडी कर हटा दिया जाना चाहिये और अब भी उन भारतीयोंका समर्थन करता हूँ जो कठोर प्रशासन और परवाना कानूनोंसे राहत पाना चाहते हैं परन्तु फिर भी मैंने श्री गांधीसे अपील की है कि अराजकता न होने दें और एक ऐसे आयोगको माननेसे इनकार न करें, जिसके सदस्य न्यायप्रिय और प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं।

१. मणिलाल गांधी उस समय सत्याग्रह आन्दोलनमें भाग लेनेके अपराधके लिए. तीन महीनेकी सजा काट रहे थे।