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२३५. तार : गो० कृ० गोखलेको

डर्बन
जनवरी २, १९१४

सविडिया
पूना

ऐंड्रयूज और पियर्सनका' यथोचित सम्मान हुआ। तबीयत ठीक है। उनका स्नेह स्वीकार करें। यात्रा कष्टप्रद रही। गांधी नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया : फाइल संख्या ४५

सौजन्य : सर्वेन्ट्स ऑफ इण्डिया सोसाइटी।

२३६. तार : गो० कृ० गोखलेको

डर्बन
जनवरी २, १९१४

रेवरेण्ड सी० एफ० ऐंड्रयूज और रेवरेण्ड डब्ल्यू. पियरसन आ गये हैं। भारतीय समाजने बड़े उत्साहसे उनका स्वागत किया। उनकी यात्रा बड़ी कष्टप्रद रही। अब हम आयोगमें एक और सदस्य-कमसे कम एक ऐसा यूरोपीय सदस्य जिसकी निष्पक्षतापर हमें भरोसा हो-बढ़वानकी कोशिश कर रहे हैं। आवश्यक होनेपर, बागानके मालिकोंको अपनी ओरसे एक सदस्य नामजद करनेकी अनुमति दी जायगी। पूरे हृदयसे आशा करता है कि इस बातमें भारत हमारा समर्थन करेगा। अनुरोध है कि आप सभीसे हमारे लिए अत्यधिक चिन्तित न होनेके लिए कह दें। रिहा होकर आनेपर हमने पाया कि हमारे समाजके एक बड़े समुदायने धैर्य और कष्ट सहनकी अद्भुत क्षमताका परिचय दिया था और किसी प्रभावशाली नेतृत्वके बिना भी अनुशासनके साथ निश्चयपूर्वक काम करनेकी गिरमिटिया भारतीयोंकी अप्रत्याशित क्षमता देखकर तो हम अवाक रह गये। अपनी विपत्तिमें भी हम

१. विलियम विन्स्टान्ले पिपरसन, भारतीयोंके प्रति सक्रिय रूपसे सहानुभूति रखनेवाले एक ईसाई मिशनरी; कुछ समय तक शान्तिनिकेतनमें शिक्षक भी रहे थे।

२, गांधीजी जहाजसे ऐड्यूज और पियरसनको लेने कुछ अन्य लोगोंके साथ घाट तक गये थे।