पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/३४७

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३०९
तार : गो० कृ० गोखलेको


वर्षोंसे समाजके पास अपने कष्टोंके निवारणके एकमात्र अस्त्रके रूपमें एक सत्याग्रह ही रहा है; और हालांकि शुरूमें हर कदमपर जैसी आपने की है उसकी वैसी ही निन्दा की गई है; पर अन्तमें समय बीतनके साथ-साथ सार्वजनिक कार्य करनेवाले लोगोंने संघर्षके बारेमें सोच-विचार करनेके बाद उसे औचित्यपर्ण ही ठहराया है। जिस राहतको पानेके लिए सत्याग्रहका अस्त्र प्रयोगमें लाया गया था, मोटे तौरपर वह राहत मिल भी चुकी है। इस बार उसका क्षेत्र अपेक्षाकृत अधिक व्यापक रहा है। उसके फलस्वरूप इस बार कहीं अधिक लोगोंको अधिक बड़े कष्ट उठाने पड़े हैं और इसीलिए इस बार लोगोंमें, विशेषकर उससे सीधे प्रभावित होनेवाले लोगोंमें, अधिक रोष पैदा हुआ, हालाँकि वह अप्रत्याशित नहीं था। आशा है कि सरकार अत्यधिक सोच-विकारके बाद पेश किये गये हमारे प्रस्तावोंके सम्बन्धमें कोई भी निर्णय करने में युक्तिकी अपेक्षा बुद्धिमत्ता और न्याय-शीलतासे ही अधिक काम लेगी। लेकिन यदि वैसा न हुआ और यदि सरकारने हमारी प्रार्थना ठुकरा दी, तो मुझे भय है कि मुझे नापसन्द होते हुए भी संघर्षको फिरसे छेड़ना अवश्यम्भावी हो जायेगा। इस समय भारतीयोंका पथ-प्रदर्शन करनेवाले नेताओंकी बुद्धिमता या बुद्धि-हीनताका निर्णय तो आगे आनेवाली पीढ़ियाँ ही कर सकेंगी।

आपका,
मो० क. गांधी

[अंग्रजीसे]
नेटाल मर्युरी, ५-१-१९१४

२३४. तार : गो० कृ० गोखलेको'

डर्बन
जनवरी १, १९१४

सविडिया,
पूना

उमतलो पहुँचने ही वाला है। तार द्वारा स्वास्थ्य सूचित कीजिये। कई लोग जाननेके लिए चिन्ताकुल।

गांधी

[अंग्रजीसे]

नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इण्डिया : फाइल संख्या ४५ ।

सौजन्य : सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी।

१. सी० एफ० ड्यूज और डब्ल्यु. डब्ल्यु. पियरसन उमतली जहाजसे यात्रा कर रहे थे। वह २ जनवरीको डर्थन पहुँचा था; यह तार श्री गोखलेके दिसम्बर ३१, १९१३ के उत्तरमें दिया गया था। देखिए अगला शीर्षक।