(समाचार) छापना प्रारम्भ कर रहे हैं जबतक संघर्ष चलेगा यह क्रम चालू रहेगा। इन भाषाओंमें पुनः छापना शुरू करने में हमारा हेतु किसी व्यापारिक उद्देश्यसे जोखिम उठानेका नहीं है। संघर्षके खत्म हो जानेपर यह चालू रखा जायेगा या नहीं, इसका निर्णय (तत्कालीन) परिस्थितियोंका विचार करके ही किया जा सकेगा।
इंडियन ओपिनियन, ३१-१२-१९१३
२३२. तार : गो० कृ० गोखलेको'
डर्बन
दिसम्बर ३१, १९१३
पूना सिटी
पोलकके इंग्लैण्ड जानेके प्रश्नपर पूरा विचार किया गया। आशा थी उन्हें भेज सकूँगा। हम सब स्थितिको देखते हुए यहाँ उनकी मौजूदगी जरूरी समझते हैं। यदि आयोगकी सदस्य-संख्या बढाई गई तो गवाही देनेके लिए उनका यहाँ रहना जरूरी। यदि कूचका फैसला किया गया तो प्रत्येक नेता आवश्यक। पोलकने भी शपथपूर्वक घोषणा की थी। मैकडॉनल्डको भेजा जानेवाला वक्तव्य तैयार हो रहा है। सात हजार प्राप्त हुए।
गांधी
नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया : फाइल सं० ४५
सौजन्य : सर्वेट्स ऑफ़ इंडिया सोसाइटी
१. उसी दिन गांधीजीको श्री गोखलेका एक तार मिला था जिसके उत्तर में यह तार भेजा गया था। श्री गोखलेका तार इस प्रकार था: “मैने रैम्जे मैकडॉनल्डको वचन दिया है कि पोलक उन्हें तुरन्त गिरमिटिया प्रथा और तीन पौंडी करके सम्बन्धमें पूरा विवरण और साथ ही हमारी हड़तालका और उसे दवानेके लिए सरकार द्वारा अपनाये गये तरीकोंका पर्याप्त रूपसे विस्तृत ब्यौरा भी भेजेंगे। श्री मैकडॉनल्ड अभिभाषणपर होनेवाली बहसमें प्रश्न उठानेकी आशा करते हैं । इसलिए पोलकको यथासम्भव शीघ्र विवरण भेजना चाहिए । मैंने सुझाव दिया था कि पोलक फरवरीके शुरूमें इंग्लैंड जायें। आपने इसका उत्तर नहीं दिया।" देखिए "तार: गो० कृ० गोखलेको", पाद-टिप्पणी १, पृष्ठ २७७ ।