तार द्वारा भेज दिये हैं। ये सुझाव बीचका रास्ता निकालने में सहायक हो सकते हैं।
गांधी
नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया : फाइल सं० ४५
सौजन्य : सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी
२२८. भेंट : 'नेटाल मयुरी' को'
[डर्बन
दिसम्बर २९, १९१३]
[गांधीजी:] भारतीय कांग्रेसमें पास किये गये प्रस्तावोंकी प्रति हमें मिली है, उन प्रस्तावों के परिणाम-स्वरूप हमारी स्थिति निश्चित ही मजबूत होती है, क्योंकि कांग्रेसने अपना जोरदार समर्थन, सर्वसम्मतिसे, प्रदान किया है और उसने हमारी इस प्रार्थनाको कि आयोगमें भारतीयोंके हितोंका प्रतिनिधित्व होना चाहिए, पूर्णरूपसे उचित ठहराया है। अतएव, मैं यही आशा कर सकता हूँ कि कुछ तो कांग्रेसके समर्थनके कारण और कुछ उन प्रयासोंके फलस्वरूप जो प्रतिष्ठित यरोपीय हितैषीगण सरकार द्वारा हमारी प्रार्थनाको स्वीकार करानेकी दिशामें कर रहे है और कुछ इस प्रार्थनाको दक्षिण आफ्रिकाके समस्त अखबारोंने अपने-आप न्यायपूर्ण कहकर अनुमोदित किया है इसलिए--यह प्रार्थना सरकार द्वारा स्वीकृत होकर ही रहेगी।
यदि हमारी प्रार्थनाके सम्बन्धमें सन्तोषजनक उत्तर प्राप्त नहीं होता तो आयोगसे किसी भी रूपमें सहयोग करना हमारे लिए सम्भव न होगा। परन्तु फिलहाल, उन मित्रोंके कहनसे जो बीचमें पड़े हैं, और इस बातको देखते हुए कि सरकारके साथ हमारी लिखा-पढ़ी तार द्वारा चल रही है, हमने पहली जनवरीको प्रिटोरियाके लिए प्रस्तावित कूच न करनेका निश्चय किया है। हम जानते है कि सम्मानपूर्ण समझौता करनेकी दिशामें हमने भरसक प्रयत्न किया है। हमें यह भी मालूम है कि इस प्रकारके समझौतेकी कोई आशा नहीं है। इस वक्त तो कूच केवल स्थगित है, परन्तु जो-जो प्रमाण मुझे दिनपर-दिन प्राप्त हो रहे हैं उनसे मेरी यही धारणा बन रही है कि
१. नेटाल मयुरीके प्रतिनिधिने गांधीजीसे मुलाकातके दौरान यह पूछा था कि दक्षिण आफ्रिका पर भारतीय राष्ट्रीय महासभा (इंडियन नेशनल कांग्रेस) के कराची अधिवेशनमें, (२६ से २८ दिसम्बर तक) पास किये गये प्रस्तावोंका प्रभाव क्या होगा । इन प्रस्तावोंमें तीन बातें कही गई थीं; एक तो यह कि दक्षिण आफ्रिकामें भारतीयोंके साथ अब भी जो वर्ताव किया जा रहा है, उसका यह महासभा विरोध करती है; दूसरी यह घोषणा थी कि ब्रिटिश साम्राज्यसे सम्बद्ध उन देशोंके लोग, जिनमें भारतीयोंको ब्रिटिश नागरिक होनेके स्वल नहीं दिये जा रहे है, भारतमें किसी भी पदपर नियुक्त होनेके अधिकारी न होंगे; तीसरा प्रस्ताव इस आशयका था कि गिरमिट-प्रथा बन्द कर दी जाये ।