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तार : गो० कृ० गोखलेको


खानगी तौरपर भेजनेके बजाय खुले तौरपर इसकी मांग पेश की गई और उन मांगोंके नामंजर किये जानेपर जो परिस्थिति सामने आयेगी उसका भी अन्दाज दिया। खयाल है कि ऐसी परिस्थितिमें इस आयोगको मंजूर कर लेनेका अर्थ यह ठहराया जायेगा कि भारतीय समाजने अपने स्वाभिमानका बलिदान कर दिया है। गत इक्कीसवीं तारीखको जो सार्वजनिक सभा हुई थी उसमें धार्मिक भावनाओंसे प्रेरित होकर इस आशयके प्रस्ताव पास किये गये थे कि हम लोग शपथपूर्वक यह निश्चय करते है कि यदि सरकार हमारी उपर्युक्त माँगे जिनमें एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त निहित है, मंजूर नहीं करती तो हम उस आयोगको अंगीकार न करेंगे। प्रत्युत संघर्षको पुन: छेड़ देगे। वाइसराय महोदयके मद्रासमें दिये गये मानवतापूर्ण भाषण और उनके द्वारा हमारे उद्देश्यके दृढ़तापूर्वक किये गये समर्थनके लिए भारतीय समाज उनका अत्यन्त कृतज्ञ है और उसके मनमें आशाका संचार हो रहा है। घोर संकटके समय भारत और इंग्लैंडकी जनताके द्वारा किये गये समर्थनसे भी उसे सान्त्वना मिली है। यहाँ रहनेवाले यूरोपीय मित्रगण इस बातकी कोशिश कर रहे है कि यह गत्यवरोध दूर हो जाये और आयोगमें कुछ और निष्पक्ष नियक्तियाँ हों तथा भारतीय समाजके साथ विचार-विमर्श करनेके उद्देश्यसे भेजी गई प्रार्थना स्वीकार कर ली जाय। आशा तो यही है कि भारत हमारी प्रार्थनाका जिसे सब लोग पूर्णतः न्यायोचित मान रहे हैं -जोरदार समर्थन करेगा। इस सम्बन्धमें शिष्टाचारके नामपर आपत्ति की गई है। परन्तु प्रस्तुत संकटमय स्थितिके अवसरपर महज शिष्टाचारके खयालसे हमारा रुके रहना असम्भव है। सरकारने (भारतीय) आयोगकी नियुक्तिके सम्बन्धमें समाजकी राय न लेकर और उसमें ऐसे व्यक्ति नियुक्त करनेकी, जिनकी नियुक्तिके सम्बन्धमें सरकारको पता लग चुका था कि बहुत कड़ा विरोध होगा, भारी भूल की है। उसका फल हमें क्यों भोगना पड़े? हम फकत विलियम सॉलोमनके सामने अपनी गवाहियाँ देनेको तैयार है। ये महोदय हमसे भारतीयोंपर हंटरोंकी मार फौज द्वारा उनके साथ किये गये व्यवहार तथा अन्य प्रकारसे उनके तिरस्कृत होने आदि आरोपोंके बारेमें पूछताछ करें। परन्तु दुर्व्यवहारके मामलोंको सिद्ध करनेकी अपेक्षा समाजकी अधिक दिलचस्पी उसके कष्टोंके निवारणकी ओर है। अन्तमें हम अपने देशवासियोंको यकीन दिलाते हैं कि यहाँ परिस्थिति इतनी ज्यादा बिगड़ चुकी है कि यदि नेता लोग जनताकी असली माँगसे कम लेनेपर राजी हो जानेकी दिशामें जरा भी झुके तो इसका नतीजा यह होगा कि उनके प्राणोंपर आ बीतेगी और वह उचित ही होगा। जनरल स्मट्स ने हमारे पत्रका उत्तर देते हुए हमसे कहा है कि मांगोंको लिखित रूपमें पेश करने पर विचार किया जायगा। हमने अपने सुझाव उनके पास