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सम्पूर्ण गाँधी वाङ्मय


हो रही है। वाइसराय और लार्ड क्रू संघ-सरकारके दबावके कारण इस परिस्थितिको उलट-पुलट न कर दें जैसा कि प्रवासी विधेयकके जानेके अवसरपर किया था; उस समय दोनोंने संघ-सरकार द्वारा उठाये कदमको सही और हमारे कामको गलत कहा था। आपसे उत्तर पानपर घोषित करूँगा कि रॉबर्टसन आनेवाले हैं, इसलिए वाइसराय महोदयकी इच्छाका पालन करते हुए हमने कूच स्थगित कर दिया है, परन्तु मैंने अभी हालमें नियुक्त आयोगके विषयमें न कोई आश्वासन दिया है और न मैं उस आयोगकी बैठकों में किसी भी प्रकारसे सहयोग कर रहा हूँ। घोषणा तबतक न की जायगी जबतक स्मट्सके साथ चल रहे वार्तालापके परिणामके बारेमें मैं निराश नहीं हो जाता। ऐन्ड्रयूज़का' स्वागत यथोचित् रूपसे किया जायेगा; रॉबर्टसनका भी।

गांधी

[अंग्रेजीसे]
सर्वेट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी

२२४. भाषण : मैरित्सबर्गमें'

मैरित्सबर्ग
[दिसम्बर २७, १९१३]

अत्यन्त संयत और नरम लहजेमें भाषण करते हुए श्री गांधीने सूचित किया कि भारतीयोंकी शिकायतोंके सिलसिलेमें अत्यन्त महत्वपूर्ण ढंगको वार्ता चल रही है। उन्होंने कहा कि भारतीयोंको इस वार्ताका अन्तिम निष्कर्ष निकलने तक प्रतीक्षा करनी होगी। उन्होंने भारतीयोंको तैयार रहनकी सलाह देते हुए कहा कि सम्भव है ऐसी स्थिति उत्पन्न हो कि उन्हें (भारतीयोंको) अपनको गिरफ्तार करानेके लिए डर्बनसे ट्रान्सवालके लिए होनेवाले कूचमें शामिल होनेको कहा जाये। श्री गांधीने कहा कि कूच १ जनवरीसे शुरू हो, ऐसा मेरा अनुमान नहीं है। सम्भव है वह १५ जनवरीसे पहले शुरू न हो । कूच शुरू हुआ तो उन्हें रसद व्यवस्थाके लिए आवश्यक प्रबन्ध करना अत्यन्त महत्वपूर्ण है। अपने भाषणके दौरान श्री गांधीने दावा किया कि हम लोग केवल मानवताके बुनियादी अधिकार और सामान्य न्याय पानेकी कोशिश कर रहे हैं।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, ३१-१२-१९१३

१. उत्तरमें तार द्वारा श्री गोखलेने वाइसराय भौर उनके बीच जो तार-व्यवहार हुआ उसका सारांश भेजा; वाइसरायके तारके लिए देखिए परिशिष्ट १७ ।

२. 'दीनबन्धु' चार्ल्स फ्रेअर ऍड्यूज (१८७१-१९४०)।

३. इस सभामें लगभग १,००० भारतीय उपस्थित थे। सभाकी यह रिपोर्ट नेटाल मयुरीसे लेकर इंडियन ओपिनियनमें प्रकाशित की गई थी।

४. सभामें पारसी रुस्तमजी और एच० एस० एल० पोलकने भी भाषण किया।