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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


अन्तर्गत सरकार चाहे जिसकी चाहे जो चीज छीन सकती है। फौजी कानून लागू होनेकी प्रबल सम्भावना । बेहतर है आप कोष अपने ही पास रखें, माँगनपर भेजते आन्दोलन अप्रत्याशित रूपसे फैल रहा है। लोग दिन-भर मुझे घेरे रहते हैं। कूचका स्थगित किया जाना निश्चित ही है। सुलहकी उम्मीद रहते मैं वह प्रारम्भिक प्रबन्ध भी नहीं कर रहा हूँ जो कूच में भाग लेनेवाले करीब पाँच हजार लोगोंके लिए आवश्यक होगा। ज्यों-ज्यों त्रस्त और पीड़ित कृतसंकल्प नारी-पुरुष आगे बढ़ेंगे संख्या बढ़कर बीस हजार होनेकी सम्भावना है। शनिवारको मैरित्सबर्गकी सार्वजनिक सभामें उपस्थित रहूँगा। आपके तारोंका मजमून लोगोंके पास भिजवा रहा हूँ। आपके तारोंकी हिदायतोंपर तुरन्त ध्यान दिया जायेगा।

गांधी

[अंग्रेजीसे]
सर्वेन्ट्स ऑफ़ इंडिया सोसाइटी

२२०. पत्र: मार्शल कैम्बेलको

११०, फोल्ड स्ट्रीट
डर्बन
दिसम्बर २६, १९१३

प्रिय श्री मार्शल कैम्बेल,

अभी दो या तीन दिन पहले सुना कि आप इंग्लैंडसे वापस आ गये हैं। मैं कहना चाहता हूँ कि जब मुझे समाचार मिला कि तटवर्ती क्षेत्रमें सबसे पहले आपके मजदूरोंने हड़ताल की तब मुझे बड़ी चिन्ता हुई। एक महत्वपूर्ण सभामें मुझसे प्रश्न किया गया था कि मैं गन्नेके फार्मोंमें भी हड़तालकी बात क्यों नहीं कर रहा हूँ। मेरा उत्तर था कि हम लोग हड़तालको कोयलेकी खानों तक ही सीमित रखनेकी कोशिश कर रहे हैं क्योंकि हमें आशा है कि राहत दिलानेके लिए उतना ही प्रदर्शन पर्याप्त होगा। जब मैं न्यूकासिलमें कोयला खानोंके हड़तालियोंको राहत पहुँचानेका काम सँभाल रहा था, उस समय डर्बनमें काम करनेवाले मेरे सहयोगियोंने मुझसे पूछा कि समुद्रतटवर्ती क्षेत्रों में काम करनेवाले उन भारतीयोंको क्या उत्तर दिया जाये जो आन्दोलनमें शरीक होना चाहते हैं। मैंने जोर देकर स्पष्ट किया कि अभी उनका हड़ताल करना उपयुक्त नहीं है। उसके बाद मुझसे पुनः उसकी चर्चा की गई और मैंने वही बात कही और अपनी गिरफ्तारीसे पूर्व लिखे गये मेरे पत्रों में से एक इस आशयका

१. देखिए “ भाषण : मैरित्सवर्गमें", पृष्ठ २९६ ।

२. चेपरमैन, वोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स, नेटाल एस्टेट, लिमिटेड ।

३. ये पत्र उपलब्ध नहीं हैं।