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तार: गो० कृ० गोखलेको


समाजसे सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण मामलोंमें सरकार उससे औपचारिक अथवा अनौपचारिक सलाह-मशवरा करनेके लिए इच्छुक नहीं है। मेरी समझमें हमारे पत्रको श्रमवश ही चुनौती मान लिया गया है। आशा है मन्त्री महोदय मेरे इस कथनको ठीक मानेगे कि वह पत्र न तो चुनौती है न धमकी। हमने तो तरीकेकी निन्दा की है। सरकारने कृपापूर्वक स्वीकार किया है कि हमने उसे सूचित कर दिया कि कुछ मौकोंपर समाजकी भावना ऐसी होती है कि राहत न देनेपर सत्याग्रह अर्थात् आत्मपीड़नका जारी रहना या पुनरारम्भ किया जाना निश्चित है। मैं आशा करता हूँ कि जनरल स्मट्स मुझे भेंट मंजूर करते हुए मिलनेका समय निश्चित कर देंगे। उत्तर मिलने तक मैं यह तार समाचारपत्रोंको न भेजूंगा।'

गांधी

[अंग्रेजीसे]
कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स (सी० ओ० ५५१/४६)

२१६. तार : गो० कृ० गोखलेको

डर्बन
दिसम्बर २५, १९१३

सरकारसे हमारे पत्रका उत्तर मिल गया। यद्यपि आयोगमें वद्धिकी मांग अस्वीकृत कर दी गई है, लेकिन बातचीतकी गुंजाइश रखी है। व्यक्तिगत भेंटकी प्रार्थना की है।

गांधी

[अंग्रेजीसे]
सर्वेन्ट्स ऑफ़ इंडिया सोसाइटी

१. गृह-मन्त्रीने २९ दिसम्बरको तारसे यह उत्तर दिया : "आपका २५ का तार मिला । भारतीय प्रश्नपर नेतागण अधिक सद्भावपूर्ण रुख अपना रहे हैं, यह देखकर मन्त्री महोदयको प्रसन्नता । भेंटके अनुरोधके बारेमें मन्त्री महोदय चाहते हैं कि विगतमें हुई गलत फहमियोंको देखते जिन मुद्दोंपर बात करनी है उन्हें औपचारिक रूपले लिख दिया जाये । हर उचित सुझावपर सरकार सावधानीसे विचार करनेको तैयार है।" देखिये “पत्र : गृह-मन्त्रीको", पृष्ठ २७१-७४ ।

२. ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसा ही एक तार दूसरे दिन लोर्ड ऍम्टहिलको भी भेजा गया था । उन्होंने अपने पत्रमें इसकी और इससे पहलेके तारोंकी प्राप्ति स्वीकार की थी। उसमें यह भी लिखा गया था कि वे जो कुछ किया जा सकता है वह सब कर रहे हैं।"

१२-१९