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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


बावजूद हमने संयत भाषाको तनिक भी नहीं छोड़ा। विकल्प सत्याग्रह ही होगा, वह तो हमने अपने हर पत्रमें कहा है। उसीको धमकी माना गया है। 'रैड डेलीमेल' के जोहानिसबर्ग ईस्ट खरीतेमें सरकारसे कहा गया है कि वह मांगोंको मान ले और अपने साम्राज्यीय दायित्वको स्वीकार हमारे पत्रके समर्थनमें हॉस्केनने सार्वजनिक अपील निकाली चर्च कौंसिलें भी ऐसे ही प्रयास कर रही है। हम सत्याग्रहकी परम्पराओंको बनाये रखने की भरसक चेष्टा करेंगे और इस प्रकार आपका विश्वास और शक्तिशाली समर्थन प्राप्त करते रहेंगे।

गांधी
पोलक
कैलेनबैक

[अंग्रेजीसे]
कलोनियल ऑफ़िस रेकर्ड्स : सी० ओ० ५५१/५२

२१५. तार : गृह-मन्त्रीको

डर्बन
दिसम्बर २५, १९१३

अत्यावश्यक

गृह-मन्त्री

प्रिटोरिया<

पोलक, कैलेनबैक और मेरे संयुक्त पत्रके सरकारी उत्तरका पाठ अखबारों में देखा। समझौते की ध्वनिकी कद्र करता हूँ और आशा करता हूँ कि स्थिति असाध्य नहीं है। मैं जनरल स्मट्सको यकीन दिलाता हूँ कि मेरी इच्छा भारतीयों और गोरोंको कष्टोंसे बचानेकी है। भारतीय मजदूरोंके मालिकोंको, जिनमें से कुछके प्रति मैं बहुत आदरभाव रखता हूँ, नुकसान न होन देनेके लिए मैं यथाशक्ति सभी कुछ करनेको तैयार हूँ। परन्तु मैं अपनी अन्तरात्माके सुझाये मार्गपर चलनेके लिए मजबूर हूँ; यदि उससे कुछ लोगोंको कष्ट होता है तो मुझे उसके प्रति उदासीन रहना पड़ेगा। यदि जनरल स्मट्ससे मुलाकात सम्भव हो तो मैं भेंटके लिए आनेको तैयार हूँ। मैं उनके समक्ष जो सुझाव रखूगा यदि वे स्वीकार कर लिये गये तो गत्यवरोध दूर हो जायेगा और सरकारकी शान तथा भारतीयोंकी प्रतिष्ठा भी बनी रहेगी। अपना प्रकाशित करनेका हमारा एकमात्र कारण यही था कि हमारी अपील सरकार और जनता दोनोंके लिए है। फिर सरकारी तौरपर कोई कारण बताये बिना हमारी रिहाईका अर्थ हम लोगोंने यह लगाया कि भारतीय