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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


उलझनमें डालना है। स्थानीय सरकार आन्दोलनको निंद्य ठहराने के लिए कर रही है। आन्दोलन इतने जोरोंपर है कि उसका नियन्त्रण करना कठिन है। साधारण इतने आवेशमें है कि यदि वर्तमान आयोगको अंगीकार करनेकी सलाह दी जायेगी, तो वे नेताओंका खून कर देंगे। हम लोगोंको रिहाईके पूर्व सरकारके पास अनेक केन्दोंसे जोरदार विरोध भेजा गया था। बजाय इसके कि वर्तमान सदस्योंकी जगह अन्य सदस्य रखे जायें लोगोंको इस राजी कराना कि इनको बनाये रखकर कुछ और सदस्योंकी भी नियुक्ति कर दी जाये, कठिन जान पड़ता है। संघर्षका यह है कि महत्वपूर्ण मामलों में परामर्श देनेका अधिकार स्वीकार कर लिया जाये। यदि इस नाजुक मौकेपर यह अधिकार छोड़ दिया जाये तो सत्याग्रहकी मूल बात ही खत्म। अगर हमारी मांगोंके समर्थनमें इंग्लैंडमें तत्परताके आन्दोलन नहीं शुरू किया गया तो द्वारा हमारी मांगोंके स्वीकृत होनेकी सम्भावना नहीं। परिणाम अकथनीय विपत्तियाँ, परेशानियाँ और मौतें।

गांधी
पोलक
रिच
कैलेनबैक

[अंग्रेजीसे]
कलोनियल ऑफ़िस रेकर्ड्स सी० ओ० ५५१/५२

२१०. तार : लॉर्ड ऍम्टहिलको'

[डर्बन
दिसम्बर २३, १९१३]

वेरोनिगिंगके भारतीयोंने सार्वजनिक सभामें घोषित किया कि वे ब्रिटिश भारतीय संघ द्वारा किये गये सत्याग्रहियोंके संकल्पमें उसके साथ हैं, और उन्होंने उन वोर भाई-बहिनोंको बधाई दी जो भारतकी प्रतिष्ठाके निमित्त कैद भुगत

१. इसकी एक नकल बम्बईके इम्मॉर्टल नामक पत्रको भेजी गई थी।

२. तारके मसविदेपर कोई तारीख नहीं दी गई है । २७-१२-१९१३ के टाइम्स ऑफ इंडियामें डर्बनकी २५ दिसम्बरकी यह खबर छपी हैं : “श्री गांधी और अन्य लोगोंने कल लॉर्ड एम्टहिलको तार दिया है कि लोगोंमें इतना अधिक रोष व्याप्त है कि यदि वर्तमान आयोगको स्वीकार करवानेका प्रयत्न किया गया तो वे नेताओंको मार डालेंगे।" यह उल्लेख २३ दिसम्बरके तारका है; देखिए, इससे पहला शीर्षक । सम्भव है कि इस शीर्षकका मसविदा भी लगभग उसी समय बनाया गया हो; यद्यपि इसे वस्तुत: भेजा कब गया था सो शात नहीं है ।