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तार : लॉर्ड ऍटहिलको


किया और बहुतोंने सरकारसे माँग की कि सदस्य बढ़ाये न जायें बल्कि एसेलेन और वाइली बदल दिये जायें। अगर हमारे मनोनीत सदस्य नियुक्त भी दिये जाते हैं तब भी लोगोंको एसेलेन और वाइलीको स्वीकार करनेको प्रेरित करनेके लिए धैर्य और समझदारी की आवश्यकता। महत्वपूर्ण प्रश्नोंपर [समाजसे] सलाह करनेके अधिकारको मान्यता देना संघर्षका मल मुद्दा। इस नाजुक हालतमें हक छोड़ दें तो सत्याग्रह मर जायगा। एसेलेनने हालमें विधानसभाके सदस्य मेलरसे निजी रूपसे भारतीयोंके खिलाफ बहुत ही आपत्तिजनक बातें कहीं। मेलरने सार्वजनिक रूपसे एसेलेनके नियुक्त किये जानेका विरोध किया क्योंकि उन्होंने सार्वजनिक सभाओं में एशियाई विरोधी विचारोंको जोरदार शब्दोंमें व्यक्त किया है। उनका वस्तुतः केन्द्रीय मन्त्रियोंसे इतना घनिष्ठ राजनैतिक सम्पर्क है कि उन्हें मन्त्रिमण्डलका गैरसरकारी सदस्य कहा जा सकता है। वाइलीने आन्दोलनके दौरान कहा, कर बिल्कुल नहीं हटाया जाना चाहिए। ये सेनामें कर्नल है इनकी कार्रवाइयोंकी जाँच होनी चाहिए। अनेक भूस्वामियोंके कानूनी सलाहकार और १८९६ से माने हुए एशियाई विरोधी, जब लोगोंको स्वतन्त्र भारतीयोंको लानेवाले जहाजोंको डुबा देनेकी सलाह दी गई थी। कमीशनका बहिष्कार करते हुए भी इन आरोपोंके समर्थन में भारतीयोंकी गवाहियाँ प्रकाशित की जा सकती हैं। यह बात विशिष्ट कि वर्तमान कमीशन राहत देनेके लिए नहीं, बल्कि लोगोंकी आँखोंमें धूल झोंकनेके लिए बनाया गया।

गांधी

[अंग्रेजीसे]
सर्वेन्ट्स ऑफ़ इंडिया सोसाइटी

२०९. तार : लॉर्ड ऍम्टहिलको

डर्बन
दिसम्बर २३, १९१३

लॉर्ड ऍम्टहिल

किसीके इशारेपर प्रकाशित आजके तारसे पता चलता है कि आयोगकी नियुक्ति स्थानीय भारतीयोंको सन्तुष्ट करने के लिए नहीं बल्कि केवल साम्राज्यीय तथा भारतीय सरकारको सन्तुष्ट करने के लिए की गई है। उसमें यह भी कहा गया है कि आन्दोलन बनावटी है, इसका संचालन गर्म दलवाले भारतीयों के आदेशोंके अनुसार किया जा रहा है और उद्देश्य भारत सरकारको

१. ये एस० एस० कूरलैंड और नादेरी थे । अन्य लोगोंके अलावा कर्नल वाइलीके नेतृत्वमें भारतीय विरोधी प्रदर्शनोंके विस्तृत विवरणके लिए देखिए, खण्ड २, पृष्ठ १६६-९० ।