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सम्पूर्ण गाँधी वाङ्मय


भोजनमें झींगुर और कीड़े पाये जानेपर भी भोजन दुबारा नहीं दिया गया । ऐसे दुर्व्यवहारके प्रति विरोध प्रकट करने के लिए बहुत लोगोंने भूख हड़ताल चार दिन तक चौथे दिन उनमें से एकको, जो शाकाहारी था, बलपूर्वक अण्डे मिलाकर दूध पिलाया गया। देनेके वचनपर भूख हड़ताल खत्म । राहत नहीं दी गई। हड़तालके दौरान कैदियोंने गवर्नरसे मिलनेकी मांग की जो चौबीस घंटे से पहले दिखाई नहीं दिया। पहले भी मैरित्सबर्गमें राशन और घी दिये जानेसे पूर्व तीन दिन तक भूख हड़ताल की गई थी। रुस्तमजीने जो खराबियाँ जाहिर की हैं उनसे सनसनी पैदा होगई है।' पड़नेपर रिहा हुए सत्याग्रहियों द्वारा तुरन्त फिरसे गिरफ्तार होनेका इरादा। जाँचका अनुरोध करते सरकारको पेश करने के लिए हलफिया बयान तैयार किये जा रहे है।

गांधी

[अंग्रेजीसे]
सर्वेट्स ऑफ़ इंडिया सोसाइटी

२०८. तार: गो० कृ० गोखलेको

डर्बन
दिसम्बर २३, १९१३

सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी,
पूना

मन्त्रियोंसे मिलने हम प्रिटोरिया नहीं गये। जबतक मांगोंके समर्थनमें भारतीय शीघ्रातिशीघ्र आन्दोलन नहीं करेंगे तबतक सरकारके राजी होनेकी सम्भावना कम। आज एक अनुप्रेरित तार' प्रकाशित जिसका कहना है कमीशनकी नियुक्ति स्थानीय भारतीयोंको नहीं, साम्राज्यीय और भारत सरकारोंको तुष्ट करनेके लिए। आन्दोलनको कृत्रिम, भारतके उग्रवादियों के संकेतपर संचालित और उसका उद्देश्य' भारत सरकारको लज्जित करना कहा गया है। आन्दोलन बहुत ही तेजीसे चल रहा है इसलिए उसे स्थानीय सरकार द्वारा बदनाम करनेके जबर्दस्त प्रयत्न किये जा रहे हैं। मेरी निश्चित धारणा लोग इतने अधिक कोधित कि अगर उनसे वर्तमान कमीशन माननेको कहा गया तो वे नेता-ओंको मार डालेंगे। हमारी रिहाईसे पूर्व अधिकांश केन्द्रोंने कड़ा विरोध

१. देखिए पिछला शीर्षक ।

२. इसका सारांश समाचारपत्रों में प्रकाशनार्थ भेज दिया गया था और २९-१०-१९१३ के इंडियन ओपिनियनमें भी प्रकाशित हुआ था।

३. देखिए अगला शीर्षक ।