पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/३१७

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

२०७. तार: गो० कृ० गोखलेको

डर्बन
दिसम्बर २३,१९१३

सर्वेन्ट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी
पूना

मैरित्सबर्ग गये। वहाँ सार्वजनिक सभामें डर्बनके कलके प्रस्तावोंका समर्थन किया गया। जबतक कमीशन में और लोगोंके शामिल किये जानेका सुझाव, कैदियोंकी रिहाई, स्वीकृत नहीं तबतक कमीशनको मान्यता प्रदान करना असम्भव। लोग व्यग्न और उत्साहसे भरे हुए। वे उपर्युक्त शर्तों के अलावा कमीशनको स्वीकार करनेके सुझावको नहीं मानेंगे। उनके मनमें सरकारके प्रति तनिक भी विश्वास औम आशाका भाव नहीं। लगता है कमीशन आम शिकायतोंकी जाँच भी करेगा। कुछ भी हो हमारे पत्रमें गृहीत चलता है कि वह जाँच करेगा; यदि हमारी धारणा गलत हो तो हम जाँचकी माँग करते हैं। रुस्तमजी, और चार महिलाओं सहित १६ प्रमुख सत्याग्रही कैदकी अवधि समाप्त होने पर रिहा। रुस्तमजी और अन्य सत्याग्रहियोंका कहना जेल-व्यवहार अमानुषिक, क्रूर; ये समाजके बहुत प्रतिष्ठित व्यक्तियों में से हैं। रुस्तमजीका, जिन्हें पिछली कारावासकी लम्बी अवधिके दौरान बहुत-सी जेलोंका अनुभव हुआ है, कहना है, डर्बन जेलमें वर्तमान व्यवहार अत्यन्त क्रूर । मजिस्ट्रेट उदासीन, शिकायतोंकी सुनवाईके लिए शायद ही कभी जेल जाते हों। गर्वनर लगभग पहुँचके बाहर। भूख हड़तालसे पहले वार्डर अशिष्ट, बर्बर। जानबूझकर निरन्तर अपमान करते हैं। शिकायतें दर्ज करनेसे इनकार करते हैं। वतनी वार्डर सत्याग्रहियोंको बिना किसी भयके मारते-पीटते रहते हैं। प्रागजी देसाईको, जिनसे परिचित हैं, बिना किसी कारण इतना पीटा गया कि वे गिर पड़े, तब [उन्हें] कोठरीमें घसीट कर गया, [चिकित्सा] सहायता मिलने से पहले काफी देर पीड़ामें पड़े रहे, अस्पताल में ग्यारह दिन' लगे। सोलह वर्षीय फीनिक्स स्कूलके विद्यार्थीपर बुरी तरह हमला। रुस्तमजी, मणिलाल गांधी और अन्य सभीको, जिन्हें जानते हैं, ठोकरें मारी गईं, निर्मम व्यवहार किया गया, अपमानित किया गया, कुली कहकर पुकारा गया। कई बार शिकायत करनेके बावजूद लोगोंको जुराबें और कई लोगोंको चप्पलें नहीं दी गई। जुराबें मांगनेपर जेलके बहुत ही गन्दे कपड़े दिये गये। इसकी शिकायतें करनेपर ध्यान नहीं दिया गया और खिल्ली उड़ाई गई। जेल-पुस्तकालयकी पुस्तकें नहीं दी गई। अपनी पुस्तकें पढ़नेसे रोका गया। लगातार जंग लगी तश्तरियाँ और बर्तन जारी किये गये। भोजन घटिया किस्मका, घी अशुद्ध । अधपकी सेम दी गई, फलस्वरूप पेचिश, जिससे कुछ स्त्रियाँ जो अब भी डर्बन जेलमें है, पीड़ित।