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२०६. पत्र : 'नेटाल ऐडवर्टाइजर' को

[दिसम्बर २२, १९१३ के बाद]

इन सत्याग्रहियों में से बहुतोंको मैं अनेक वर्षोंसे जानता हूँ और उनके निकट सम्पर्क में आ चुका हूँ। इसलिए कह सकता हूँ कि वे निराधार बातें कहनेवाले व्यक्ति नहीं है। श्री रुस्तमजी भी, जो कि दक्षिण आफ्रिकाके पुराने और प्रतिष्ठित निवासी हैं; इस टुकड़ीमें थे। उन्होंने इससे पहले के संघर्षों में प्रमुख भाग लिया था। उस अवसरपर उन्हें फोक्सरस्ट, हाइडेलबर्ग, डीपक्लूफ और जोहानिसबर्गकी जेलोंका अनुभव प्राप्त हुआ था। अबकी बार फोक्सरस्टमें सजाका हुक्म पा चुकनपर पीटरमैरित्सबर्गकी जेलमें लाये गये और बादको डर्बनकी जेल भेज दिये गये। मैरित्सबर्गकी जेलका भी उन्हें कुछ अनुभव हुआ था, परन्तु उनके कथनानुसार डर्बनकी जेलमें जो अनुभव हुआ वह बहुत ही कटु था।

श्री रुस्तमजीका कथन है, और अन्य सत्याग्रही भी ऐसा ही कहते हैं, कि वतनी वार्डर सत्याग्रहियोंको तनिक भी हिचके बिना मारते-पीटते थे। और प्रागजी देसाईको इतना मारा कि वे जमीनपर गिर गये और फिर वार्डर वहाँसे उन्हें उनकी कोठरी तक घसीटकर ले गये। इस चोटके इलाजके लिए उन्हें ग्यारह दिन अस्पतालमें रहना पड़ा था। श्री रुस्तमजीको सदरा' और कस्ती पहननकी इजाजत मिले, इसके लिए उन्हें तथा उनके साथियोंको अनशन करना पड़ा था। कोई भी खरा पारसी इन चीजोंके बिना एक कदम भी नहीं धर सकता। वतनी वार्डरोंने रुस्तमजीको मारा-पीटा, यह बात सुपरिन्टेन्डेन्टके कान तक पहुंचाई गई, लेकिन उसने सुनी-अनसुनी कर दी। एक छोटेसे बालकको, अपनी कतारके बाहर खड़ा होनेके कारण पीटा गया।

एक अवसरपर इस प्रकारके व्यवहारका विरोध करनेके खयालसे अनेक सत्याग्रहियोंने उपवास किया। जिस लड़केका जिक्र ऊपर किया गया है उसको चार दिनके अनशनके बाद जबर्दस्ती भोजन कराया गया हालाँकि [जबर्दस्ती भोजन कराये जाते समय ] वह चीखता ही रहा। समाचार है कि जेलके डॉक्टरने इस बर्बरतापूर्ण कार्यकी निन्दा करते हुए कहा कि इस प्रकार जबर्दस्ती भोजन करानेकी जिम्मेदारी मेरी नहीं है। कैदी शाकाहारी है, इस बातकी बिल्कुल परवाह किये बिना उसे दूधमें अंडा मिलाकर पिलाया गया।

१. नेटाल ऐडवर्टाइजरने यह पत्र इसलिए नहीं छापा कि एक जाँच-आयोगकी नियुक्ति हो चुकी थी। कुछ दिनों बाद इस पत्रका अनुवाद गुजरातीमें किया गया और पाठकोंके लिए इ० ओ० में छापा गया।

२. पारसी रुस्तमजीको तथा उनके साथियोंको, जिनका इस पत्रमें जिक्र आया है, २२ दिसम्बर १९१३ को रिहा कर दिया गया था।

३. छोटा कुर्ता जो पारसी कर्मकांडके अनुसार नित्य धारण की जानेवाली धार्मिक पोशाक है ।

४. पारसियोंका जनेऊ ।