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२०५. तार : गो० कृ० गोखलेको'

डर्बन,
दिसम्बर २२,१९१३

माननीय गोखले

सविडिया

पूना सिटी

कमीशनकी सिफारिशपर हम बृहस्पतिवारको बिना शर्त रिहा कर दिये गये। सरकारको सूचित करते हुए पत्र लिखा कि जबतक समाजसे सम्बन्धित मामलोंमें सलाह करनेके उसके अधिकारको मान्यता प्रदान नहीं की जाती और एकपक्षीय कमीशनमें सन्तुलन बनाये रखने के लिये श्राइनर और अपील-जज रोज-इन्स अथवा समाज द्वारा स्वीकृत व्यक्ति नियुक्त नहीं किये जाते, और जबतक जेल और खदानोंमें बन्द चार हजार सत्याग्रही रिहा नहीं कर दिये जाते तबतक हम कमीशनके सम्मुख गवाही देकर सहायता देने में असमर्थ । तभी हम सत्याग्रहको कमीशनकी जांच पूरी होने तक रोक रखनकी सलाहको मान कहा है जाँचमें सब शिकायतोंकी जाँच की जानी चाहिए और भले ही जाँचके परिणाम-स्वरूप पाशविकता तथा सैनिक कार्रवाई सम्बन्धी मतभेद सदाके लिए समाप्त हो जायें लेकिन यदि सितम्बरमें लिखे काछलियाके पत्रमें सत्याग्रहियोंकी जिन माँगोंकी चर्चा की गई है, अन्तिम निर्णय उनकी अवज्ञा करता जान पड़ा तो समाज उसे स्वीकार नहीं करेगा। सरकारको आगे यह भी बताया गया है कि अगर हमारी लेंगे।

१. गांधीजीने नेटाल मर्युरीको जो भेट दो थी उसका रायटर द्वारा किया गया सारांश श्री गोखलेको प्राप्त हुआ था। देखिए पृष्ठ २६६-६७ । २१ दिसम्बरको रातके दस बजे गोखलेने निम्नलिखित तार भेजा : रायटरने आपकी भेंटका सारांश तार द्वारा भेजा। सॉलोमनके भाषणके बाद जाँचका बहिष्कार करना भारी भूल होगी; आप भारत सरकार और इंग्लैंडके बहुतसे मित्रोंकी सहानुभूति खो देंगे । सबसे अच्छे वकील नियुक्त करें और स्वयं आप तथा पोलक गवाही देनेमें सहायता दें। जाँचमें सत्याग्रहियोंकी आम शिकायतें शामिल नहीं लेकिन पाशविक कृत्यों के आरोपोंके समर्थनमें गवाही देनेके लिए इस स्वर्ण अवसरको खोना नहीं चाहिए । नम्र सुझाव कि ऐसेलन और वाइलीके खिलाफ विरोधपत्र लिखें जिसमें दोनोंके विरुद्ध उठाई गई आपत्तियोंको पूर्णतः स्पष्ट करें और सापत्ति उपस्थित हों।"

२. देखिए पत्र: गृह-मन्त्रीको", पृष्ठ २७१-७४ ।

३. देखिए “ पत्र: गृह-सचिवको", पृष्ठ १७७-८० ।